HI/770115 - श्रील प्रभुपाद इलाहाबाद में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"सारी दुनिया यौन जीवन में रुचि रखती है। पुंसः स्त्रीया मिथुनी-भावं एतत् (श्री. भा. ५.५.८)। यह भौतिक संसार इसी मिथुनी भाव पर विद्यमान है। अतः तमो-द्वारं योषितां संगी-संगम। इसलिए आप वैदिक जीवन शैली में पाएंगे कि यौन भोग प्रतिबंधित है। यदि हम यौन जीवन में आवश्यकता से ज़्यादा लिप्त होते हैं, तो हम जीवन की नारकीय स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं। और यदि हम महात्माओं के मार्ग का अनुसरण करते हैं, महत-सेवा, तो यही द्वारं अहुर विमुक्तेः है। हम मुक्ति की ओर प्रगति कर रहे हैं।" |
770115 - प्रवचन - इलाहाबाद |