HI/770116 - श्रील प्रभुपाद कलकत्ता में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"कृष्ण हमें सभी सुविधाएँ दे रहे हैं। हमें अपनी क्षमता के अनुसार इनका सर्वोत्तम उपयोग करना चाहिए। हमारी कोई अन्य महत्वाकांक्षा नहीं है। हम यह देखना चाहते हैं कि हर कोई परम पुरुषोत्तम भगवान को स्वीकार करे और खुश रहे। यह हमारा मिशन है। हमारी कोई अन्य महत्वाकांक्षा नहीं है, कोई लागत-लाभ कमाने की नहीं। लेकिन जब हम देखते हैं कि इतने सारे लोग कृष्ण की पुस्तक पढ़ रहे हैं, तो इससे हमें बहुत अच्छा प्रोत्साहन मिलता है। अन्यथा क्या ... दो चपातियाँ तो हम कहीं भी पा सकते हैं।"
770116 - वार्तालाप बी - कलकत्ता