HI/770212 - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"कृष्ण का शरीर वही है, सत्; हमेशा वही। कृष्ण का दूसरा नाम नरकृति है। हमारा शरीर कृष्ण के शरीर की नकल है, ऐसा नहीं है कि कृष्ण का शरीर हमारे शरीर की नकल है। नहीं। कृष्ण के पास उनका शरीर है, नरकृति, नर-वपु। ये चीज़ें हैं। लेकिन वह वपु इस असत् जैसा नहीं है। हमारा शरीर असत् है। यह नहीं रहेगा। उनका शरीर सच्चिदानन्द है। हमारा शरीर असत्, अचित् और निरानंद है-बिलकुल विपरीत। यह नहीं रहेगा, और इसमें ज्ञान, अचित् नहीं है, और कोई आनंद नहीं है। हम हमेशा दुखी रहते हैं। तो निराकार का मतलब है ऐसा शरीर नहीं। उनका शरीर अलग है।"
770212 - प्रवचन श्री. भा. ०७.०९.०२ - मायापुर