"विष्णु भक्तो भवेद दैवः। दैवः अर्थात देवता। वास्तव में दो श्रेणी के लोग होते है, दैव असुर एव च - एक देवता और एक असुर। जो भक्त हैं, वे देवता कहलाते हैं और जो अभक्त हैं, उन्हें असुर कहा जाता है। यही है बस - भक्त और अभक्त को अलग नामों से सम्बोधित करना। तो हमारा आंदोलन असुरों को देवताओं में परिवर्तित कर रहा है इसलिए संसार में इससे बड़ा समाज सेवा का कार्य कुछ हो ही नहीं सकता। हम असुरों को देवताओं में परिवर्तित करने का प्रयास कर रहे है और इस प्रयास में हमको सफलता भी मिल रही है। आसुरी प्रवृत्ति वाले लोग दैवी गुणों से सुशोभित हो रहे है।"
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