"मौन रहकर ध्यान लगाने से अच्छा है हरे कृष्ण महामंत्र का जप करना क्योंकि इसमें व्यक्ति को ध्यान लगाने के लिए बाध्य होना पड़ता है। उसे मन लगाना ही पड़ता है। (पीछे कीर्तन की आवाज़) जैसे की ये लोग कीर्तन कर रहे है और मै अन्य कार्य में व्यस्त हूँ परन्तु मुझे सब सुनाई दे रहा है। यदि कोई मौन अवस्था में ध्यान लगाए तो संभवतः उसको लाभ मिलेगा लेकिन इस प्रक्रिया में हर सुनने वाले व्यक्ति को फल प्राप्त होगा। इसलिए जप करना सबसे बेहतर उपाय है और हरिदास ठाकुर भी इसी की सिफारिश करते है। चैतन्य चरितामृत में वर्णन आता है कैसे पशु-पक्षी, कीट-पतंग और वृक्ष भी इस महामंत्र को श्रवण करके लाभान्वित हो सकते है। अतः हरे कृष्ण महामंत्र का जप करना ही ध्यान लगाने का सबसे उत्तम मार्ग है। इस कीर्तन से पेड़ों और पशु-पक्षियों का भी उपकार होता है। और यदि कोई शुद्ध वैष्णव के मुख से श्रवण करे तो इसका शत प्रतिशत फल प्राप्त होगा। "
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