"हमारा कृष्ण भावनामृत आंदोलन परोपकार के लिए बना है। हरे कृष्ण महामंत्र के जप से लोग शांत और स्वाभाविक चेतना में आकर अपने जीवन को सफल कर सकते है। तो हमे बहुत सावधानी से यह काम करना होगा और इसी को परोपकार केहते है। यह बात हमेशा याद रखना की इस संसार पर राज करने वाले लोग नास्तिक स्वभाव के है अर्थात आसुरम भावं आश्रिताः। अतः प्रत्येक व्यक्ति को अनेक कष्ट भोगना पढ़ रहा है। परन्तु ऐसी परिस्थितियों में कृष्ण भी अवश्य अवतरित होते है। यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत (भ गी ४.७)। तो कृष्ण अभी अवतरित हुए है अपने नाम के रूप में, नाम-रूपे कृष्ण-अवतार (सी सी आदि १७.२२)। अतः समाज के लिए कुछ अच्छा करने का प्रयास करो। तुमने एक महान आंदोलन में हिस्सा लिया है, अभी विचलित मत होना। कोशिश करते रहो और कृष्ण तुम्हारा पूरा सहयोग करेंगे।"
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