"इस आंदोलन का आरम्भ किया गया है संपूर्ण मानव समाज को असली सभ्यता से परिचित करवाने के लिए। भारत में ऐसा करने की क्षमता है इसलिए उसको यह ज्ञान देने का विशेष अधिकार है। दुनिया अविद्या के अंधकार में डूबा हुआ है। हमे उम्मीद था की आज़ादी के बाद पुरे विश्व को भारत से वास्तविक ज्ञान के बारे में जानने को मिलेगा। परन्तु असली ज्ञान देने के बजाय हम तो पाश्चात्य देशो की चमक और भोग-वृत्ति के शिकार बन गए। तो मेरी इच्छा थी की इस बहुमूल्य वस्तु को भारत की ओर से सबको भेट देने का प्रयास करू। यही मेरा इरादा है। इस सभ्यता का आधार भगवद गीता अर्थात कृष्ण की वाणी है इसलिए इसे कृष्ण भावनामृत कहा जाता है। "
|