"मूर्खस्य लठौषधि। यदि कोई व्यक्ति मुर्ख है तो उसकी पिटाई करो। बस। तुलसीदासजी ने कहा है, ढोल, गँवार, शूद्र, पशु और नारी, ये सब शासन के अधिकारी। ढोल को सही धुन पर लाने के लिए उसको बार बार ठोकना पढता है, "टंग, टंग।" गँवार का मतलब है मुर्ख व्यक्ति। इन पांचो को अनुशासित करने के लिए दण्ड देना आवश्यक है। ये सब शासन के अधिकारी। अन्यथा ये बिगड़ जायेंगे। अगर कुत्ता भौंक रहा है तो आप उसे प्रेम से समझाकर शांत नहीं कर सकते, "देखो मेरे प्यारे कुत्ते, भौंको मत। इससे बहुत परेशानी होती है . . ." "नहीं!" ढोल, गँवार, शूद्र, पशु और नारी, ये सब शासन के अधिकारी। तो कोई अगर भगवान के अस्तित्व को ठुकराता है, वह सबसे बड़ा दुष्ट है इसलिए चप्पल से पिटाई करो उसकी। बस।"
|