"आमार आज्ञाय गुरु हइआ तारो ऐ देश, जारे देखो तारे कहो कृष्ण उपदेश (सी सी मध्य ७.१२८). उदाहरण के लिए समझिये आप इस गाओं में रहते है। तो चैतन्य महाप्रभु का कहना है, "आप यही गुरु बन जाइये।" इसी स्थान में । कही और जाने की आवश्यकता नहीं। ऐ देश, "जहा आप रहते हो।" देखिये, कितना अच्छा है। आमार आज्ञाय: "मेरी आज्ञानुसार आप गुरु बनिए और यहाँ के लोगो का उद्धार कीजिये।" यह चैतन्य महाप्रभु की शिक्षा है। अतः आपको ऐसा नहीं सोचना चाहिए, "मुझे तो कुछ आता नहीं, मै अनपढ़ हु। फिर कैसे गुरु बन सकता हु मै?" आपको चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं। जारे देखो तारे कहो कृष्ण उपदेश (सी सी मध्य ७.१२८): "आप केवल कृष्ण की बातों को दोहराइये तो आप गुरु बन जायेंगे।" सिर्फ इतना ही है। हर कोई कर सकता है। आपके पास गीता है। बस अपने स्थान पर बैठकर आप गीता का प्रचार करिये और दुसरो को इसका पालन करने के लिए प्रेरित कीजिये। गुरु बन गए आप।"
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