"महिलाओं का ध्यान रखना आवश्यक है - एक स्त्री, एक बेटी अथवा एक माँ के रूप में । बस। कोई स्वतंत्रता नहीं। अन्यथा वेश्यावृत्ति आरम्भ हो जाएगी। सब कुछ बर्बाद हो जायेगा। वर्न-संकर उत्पन्न होंगे, गर्भपात भी होंगे और गर्भनिरोधक का प्रयोग बढ़ेगा। अत्यंत भयानक परिस्थिति। हमारे समाज में लड़कियां है परन्तु उन्हें अलग रहना होगा। उनका पूरा देखभाल करते हुए उन्हें कार्यरत रखना चाहिए। पुरुष-स्त्री का मिलना-झुलना वर्जित है। अन्यथा सब बर्बाद हो जायेगा। यह दोनों के लिए लागु होता है। हमने देखा है कैसे बड़े बड़े सन्यासी इसका शिकार हो जाते है। मधुदविष भी शिकार हो गया। उदाहरण के लिए हम अग्नि और माखन को ले सकते है। (हँसते हुए) आप नहीं कह सकते की माखन को अग्नि में डालने से भी वो पिघलेगा नहीं। स्त्री अग्नि के समान है और पुरुष माखन के समान।"
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