"जिन्होंने ये समझ लिया की कृष्ण अथवा वासुदेव ही सब कुछ है, वे असली महात्मा होते है। स महात्मा। अतः यही सिफारिश की जाती है। महत-सेवां द्वारम आहुर विमुक्तेः (श्री.भ ५.५.२)। यदि ऎसे महात्मा का दर्शन हो तो उनकी सेवा करने का अवश्य प्रयास करे। उनका सेवक बन जाइये। फिर आपकी मुक्ति का द्वार खुल जायेगा। अन्यथा तमो द्वारम योषितां संगी-संगम: यदि आप उनका संग करते है जो इन्द्रिय-तृप्ति में लगे हुए है तो आप अंधकारमय जगत में प्रवेश कर रहे हो। दो मार्ग उपलब्ध है: आहुर विमुक्तेः और तमो द्वारम। अभी निर्णय आपको लेना है, "किस तरफ जाये: इस तरफ या उस तरफ?"
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