HI/Prabhupada 0128 - मैं कभी नहीं मरूँगा



Press Conference -- July 16, 1975, San Francisco

रिपोर्टर: कितने सदस्य हैं अमेरिका में ? मुझे बताया गया है दो हजार। यह सही है लगभग?

प्रभुपाद: ये वेही कह सकते हैं।

जयतीर्थ: ऐसा है, हमारे प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में सदस्यता दस हजार है। इनमें से कितने संयुक्त राज्य अमेरिका में है यह नहीं कहा जा सकता है।

रिपोर्टर: मैंने पांच साल पहले इस आंदोलन पर एक कहानी की था और उस समय भी संयुक्त राज्य अमेरिका में आंकड़ा दो हजार था।

प्रभुपाद: यह बढ़ रहा है।

रिपोर्टर: यह बढ़ रहा है?

प्रभुपाद: ओह, हाँ। निश्चित रूप से।

जयतीर्थ: मैंने कहा दुनिया भर का आंकड़ा दस हजार है ।

रिपोर्टर: हाँ, मैं समझ गया। अाप अपनी उम्र मुझे बता सकते हैं?

जयतीर्थ: वह अापकी उम्र जानना चाहता है, श्रील प्रभुपाद ।

प्रभुपाद: मैं एक महीने के बाद अस्सी का हो जाऊँगा।

रिपोर्टर (2): अस्सी?

प्रभुपाद: अस्सी साल।

रिपोर्टर: क्या होगा ...

प्रभुपाद: मैं 1896 में पैदा हुआ था, अब आप गणना कर सकते हो।

रिपोर्टर: अापके मरने पर संयुक्त राज्य अमेरिका में इस आंदोलन का क्या होगा?

प्रभुपाद: मैं कभी नहीं मरूँगा।

भक्त जन: जय! ! हरि बोल! (हंसी)

प्रभुपाद: मैं अपनी पुस्तकों के लिए जीवित रहूँगा, और तुम इसका उपयोग करोगे।

रिपोर्टर: आप एक उत्तराधिकारी को प्रशिक्षण दे रहे हैं? प्रभुपाद: हाँ, मेरे गुरु महाराज हैं। मेरे गुरु महाराज की तस्वीर कहां है? मुझे लगता है ... यहाँ है।

रिपोर्टर: क्यों हरे कृष्ण आंदोलन सामाजिक विरोध में संलग्न नहीं है?

प्रभुपाद: हम सबसे अच्छे सामाजिक कार्यकर्ता हैं। लोग मूर्ख और दुष्ट हैं। हम उन्हें भगवान चेतना का अच्छा विचार सिखा रहे हैं। हम सबसे अच्छे सामाजिक कार्यकर्ता हैं। हम सभी अपराधों को रोक देगें। अापका सामाजिक कार्य क्या है? हिप्पी और अपराधियों का निर्माण करना। यह सामाजिक कार्य नहीं है। सामाजिक कार्य का मतलब है लोगों को बहुत ही शांतिपूर्ण, बुद्धिमान, भगवान के प्रति जागरूक, प्रथम श्रेणी के आदमी होना चाहिए । यही सामाजिक कार्य है। अगर तुम चौथी श्रेणी ,पांचवीं श्रेणी, दसवीं श्रेणी के लोगों का उत्पादन करते हो तो यह क्या सामाजिक कार्य हुअा? हम उत्पादन कर रहे हैं। ज़रा देखो। यहां प्रथम श्रेणी का व्यक्ति है। उन्हें कोई भी बुरी आदत, अवैध संबंध, नशा, मांस खाना, या जुआ नहीं है। वे सभी युवा पुरुष हैं। वे इन सब बातों के आदी नहीं हैं। यह सामाजिक कार्य है।

भकदतदास: श्रील प्रभुपाद, वे जानना चाहते हैं कि हरे कृष्ण आंदोलन का राजनीतिक असर क्या होगा ?

प्रभुपाद: हरे कृष्ण आंदोलन लेते हैं तो सब कुछ सभ्य हो जाएगा। यस्यास्ति भक्तिर्भगवत्यकिञ्चना सर्वैर्गुणैस्तत्र समासते सुराः (श्रीमद्भागवतम् ५.१८.१२) अगर यह भगवान चेतना फैलता है, तो हर कोई शानदार ढंग से योग्य हो जाएगा। और भगवान चेतना के बिना, तथाकथित शिक्षा जैसे कि हम सुबह चर्चा कर रहे थे, इसमें कोई मूल्य नहीं है। बस वे बात कर रहे हैं। हम किस विषय पर बात कर रहे थे?

बहुलाश्व: मनोविज्ञान आज सुबह।

प्रभुपाद: परिणाम यह है कि छात्र निराश होकर टॉवर से नीचे गिर रहें हैं। और वे कांच द्वारा संरक्षित किए जा रहे हैं।

बहुलाश्व:१९६० के वर्षों के दौरान बर्कले परिसर में छात्र घंटी टॉवर से कूद कर आत्महत्या करते थे। इसलिए छात्रों को कूदने से रोकने के लिए वहाँ कांच लगा दिया। तो प्रभुपाद समझा रहा थे कि उनकी शिक्षा यह है कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद, वे आत्महत्या करने के लिए कूद रहे हैं । (हंसी)

प्रभुपाद: यह शिक्षा नहीं है। विद्या दधाति नम्रता। शिक्षा का मतलब है, वह विनम्र, सौम्य, शांत, ज्ञान से भरा है, ज्ञान का जीवन में व्यावहारिक आवेदन, सहिष्णु, मन पर नियंत्रण, इंद्रियों पर नियंत्रण. यही शिक्षा है। यह शिक्षा क्या है?

रिपोर्टर: क्या आप एक कॉलेज खोलने का प्रयास कर रहे हैं?

प्रभुपाद: हाँ, मेरा अगला प्रयास है कि हम वर्गीकरण के अनुसार शिक्षित करें। प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी, तृतीय श्रेणी, चौथी श्रेणी तक। और फिर पांचवीं श्रेणी, छठी श्रेणी, वे स्वतः ही हैं । तो प्रथम श्रेणी के पुरुष, कम से कम समाज में, पुरुषों का एक आदर्श वर्ग होना चाहिए, और वही मन को नियंत्रित करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, बहुत साफ, सच्चा, सहिष्णु, सादगी, इंद्रियों पर नियंत्रिण करना, ज्ञान से पूर्ण, जीवन में ज्ञान का व्यावहारिक अनुप्रयोग और भगवान पर पूरा विश्वास। यह प्रथम श्रेणी का व्यक्ति है।