HI/Prabhupada 0179 - हमें कृष्ण के लिए काम करना चाहिए



Lecture on SB 1.16.6 -- Los Angeles, January 3, 1974

ये मायावादी दार्शनिक, ज्ञान के बल पर बहुत आगे जा सकते हैं, अटकलों के बल पर, लेकिन वे फिर से नीचे गिर जाएँगे । क्यों ? अनादृत युष्माद अंघ्रय: "उन्हें आपके चरणकमलों का आश्रय नहीं मिल सका है, इसलिए वे नीचे गिर जाएँगे ।" यह सुरक्षित नहीं है । क्योंकि एक व्यक्ति बिना किसी गतिविधि के नहीं रह सकता है, किसी भी इच्छा के बिना । यह संभव नहीं है। एक आदमी, जानवर, कोई भी, यहाँ तक कि कीट, वह कुछ कर रहा होगा । मुझे व्यवहारिक अनुभव है । मेरा बेटा बचपन में ... जब मैं नवयुवक था, वह बहुत शरारती था । तो कभी-कभी हम उसे रैक में रख दिया करते थे । वह नीचे नहीं उतर सकता था । वह इतनी असुविधा महसूस कर रहा था क्योंकि उसकी गतिविधियाँ रैक पर बंद हो गईं । तो आप गतिविधियों को रोक नहीं सकते । यह संभव नहीं है । बेहतर गतिविधियाँ देनी चाहिए । तो फिर आप बंद कर देंगे । परम दृष्टवा निवर्तते (भ.गी. २.५९) ।

तो यह कृष्णभावनामृत आंदोलन आपको बेहतर गतिविधियाँ देने के लिए है । इसलिए आप बुरी गतिविधियों को त्याग सकते हैं । अन्यथा, बस नकारने से, यह संभव नहीं है । हमें कार्य करना चाहिए । हमें कृष्ण के लिए कार्य करना चाहिए । हम कृष्ण के मंदिर जाएँ, या हम कृष्ण की किताबों का वितरण करें, या कुछ कृष्ण भक्तों को मिलने जाएँ । यह अच्छा है । लेकिन आप कार्य करना बंद नहीं कर सकते । यह संभव नहीं है । तब आपका खाली दिमाग शैतान का घर होगा । हाँ । तो फिर आप नीचे गिर जाअोगे,"उस महिला के पास कैसे जाना है ? या उस पुरुष के पास कैसे जाना है ?", अगर आप काम करना बंद करते हो, तो आपको इन्द्रिय संतुष्टि के लिए फिर से काम करना पड़ेगा । बस । इसी तरह आप कोई भी इन्द्रिय ले लो, आप उसे रोक नहीं सकते हैं, लेकिन आप उसे कार्य में लगा सकते हैं । यही कृष्णभावनामृत है ।