HI/680611 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 07:55, 26 May 2019
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
तो यहाँ कृष्ण कहते हैं कि जो कोई भी इस परम सत्य या भगवान् के प्राकट्य या अप्राकट्य कार्यो के बारे में समझता है, ईश्वर क्या है, उनकी गतिविधियाँ क्या हैं... जैसे हमें अपनी गतिविधियाँ हैं, हमें अपनी पहचान मिली है इसी तरह, भगवान की पहचान, उनकी गतिविधि, उनका रूप, सब कुछ है । अब हमे यह समझना है कि वह क्या है । इसे दिव्यम कहा जाता है । दिव्यम का अर्थ है कि यह इस भौतिक वस्तु की तरह नहीं है । वह आध्यात्मिक है। तो ये एक आध्यात्मिक विज्ञान है । |
680611 - प्रवचन - मॉन्ट्रियल |