HI/680610c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
अभी वर्तमान समय में एक ईश्वरविहीन संस्कृति में, अगर कुछ बड़े वैज्ञानिक साबित करते हैं... प्रोफेसर आइंस्टीन की तरह, उन्होंने यह भी कहा कि जैसा हम विज्ञान में आगे बढ़ रहे हैं, हम पाते हैं कि इस ब्रह्मांडीय अभिव्यक्ति के पीछे एक बड़ा मस्तिष्क है । यह ईश्वर की स्वीकृति है । वह बड़ा मस्तिष्क क्या है ? वह बड़ा मस्तिष्क ईश्वर है । वेदान्त-सूत्र कहता है, जन्मादि अस्य यतः (श्री.भा. १.१.१) । ठीक उसी तरह जब आप एक अद्भुत पुल या अद्भुत तकनिकी कार्य देखते हैं, तो आपको लगता होगा कि इसके पीछे कोई दिमाग है । यह अच्छा निर्माण, इसके पीछे एक दिमाग है । इसी तरह, जो समझदार पुरुष हैं, वे देखेंगे कि इस लौकिक अभिव्यक्ति, इतनी आश्चर्यजनक रूप से काम कर रही हैं ।
680610 - प्रवचन श्री.भा. ७.६.१ - मॉन्ट्रियल