HI/BG 17.26-27: Difference between revisions

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Revision as of 17:07, 14 August 2020

His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupāda


श्लोक 26-27

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शब्दार्थ

सत्-भावे—ब्रह्म के स्वभाव के अर्थ में; साधु-भावे—भक्त के स्वभाव के अर्थ में; च—भी; सत्—सत् शब्द; इति—इस प्रकार; एतत्—यह; प्रयुज्यते—प्रयुक्त किया जाता है; प्रशस्ते—प्रामाणिक; कर्मणि—कर्मों में; तथा—भी; सत्-शब्द:—सत् शब्द; पार्थ—हे पृथापुत्र; युज्यते—प्रयुक्त किया जाता है; यज्ञे—यज्ञ में; तपसि—तपस्या में; दाने—दान में; च—भी; स्थिति:—स्थिति; सत्—ब्रह्म; इति—इस प्रकार; च—तथा; उच्यते—उच्चारण किया जाता है; कर्म—कार्य; च—भी; एव—निश्चय ही; तत्—उस; अर्थीयम्—के लिए; सत्—ब्रह्म; इति—इस प्रकार; एव—निश्चय ही; अभिधीयते—कहा जाता है।

अनुवाद

रम सत्य भक्तिमय यज्ञ का लक्ष्य है और उसे सत् शब्द से अभिहित किया जाता है । हे पृथापुत्र! ऐसे यज्ञ का सम्पन्नकर्ता भी सत् कहलाता है जिस प्रकार यज्ञ, तप तथा दान के सारे कर्म भी जो परम पुरुष को प्रसन्न करने के लिए सम्पन्न किये जाते हैं, ‘सत्’ हैं ।

तात्पर्य

प्रशस्ते कर्माणि अर्थात् “नियत कर्तव्य” सूचित करते हैं कि वैदिक साहित्य में ऐसी कई क्रियाएँ निर्धारित हैं, जो गर्भाधान से लेकर मृत्यु तक संस्कार के रूप में हैं । ऐसे संस्कार जीव की चरम मुक्ति के लिए होते हैं । ऐसी सारी क्रियाओं के समय ॐ तत् सत् उच्चारण करने की संस्तुति की जाती है । सद्भाव तथा साधुभाव आध्यात्मिक स्थिति के सूचक हैं । कृष्णभावनामृत में कर्म करना सत् है और जो व्यक्ति कृष्णभावनामृत के कार्यों के प्रति सचेष्ट रहता है, वह साधु कहलाता है । श्रीमद्भागवत में (३.२८.२८) कहा गया है कि भक्तों की संगति से आध्यात्मिक विषय स्पष्ट हो जाता है । इसके लिए सतां प्रसङगात् शब्द व्यवहृत हुए हैं । बिना सत्संग के दिव्य ज्ञान उपलब्ध नहीं हो पाता । किसी को दीक्षित करते समय या यज्ञोपवीत कराते समय ॐ तत् सत् शब्दों का उच्चारण किया जाता है । इसी प्रकार सभी प्रकार के यज्ञ करते समय ॐ तत् सत् या ब्रह्म ही चरम लक्ष्य होता है । तदर्थीयम् शब्द ब्रह्म का प्रतिनिधित्व करने वाले किसी भी कार्य में सेवा करने का सूचक है, जिसमें भगवान् के मन्दिर में भोजन पकाना तथा सहायता करने जैसी सेवाएँ या भगवान् के यश का प्रसार करने वाला अन्य कोई भी कार्य सम्मिलत है । इस तरह ॐ तत् सत् शब्द समस्त कार्यों को पूरा करने के लिए कई प्रकार से प्रयुक्त किया जाता है ।