HI/690523 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यू वृन्दावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"जब मैं न्यू यॉर्क में था, एक वृद्ध महिला, वह मेरे प्रवचन में आती थी। सेकंड एवेन्यू में नहीं; जब मैंने पहले ७२ वीं गली में प्रारम्भ किया था। तो उसका एक पुत्र था। तो मैंने पूछा, "आप अपने पुत्र का विवाह क्यों नहीं करवा देतीं?" ओह जरूर, यदि वह पत्नी का पालन सके, (तब) मुझे कोई एतराज नहीं है।" मात्र पत्नी का पालन करना ही इस युग में एक बड़ा काम है। दाक्ष्यं कुटुंब भरणं (Vanisource:SB 12।2।26।श्रीमद भागवतम १२।२।६ )। और तब भी हम बहुत गर्व करते हैं कि हम उन्नति कर रहे हैं। एक पक्षी तक पत्नी का पालन करता है, एक पशु तक पत्नी का पालन करता है। और मनुष्य पत्नी का पालन करने में हिचकता है? तुम देखो? और वे सभ्यता में उन्नत हैं? हूँ ? यह बहुत घोर युग है। इसलिए चैतन्य महाप्रभु ने कहा है कि अपना समय किसी भी तरह व्यर्थ मत करो। सरल भाव से हरे कृष्ण गुणगान करो। हरेर नाम हरेर नाम हरेर नामैव...( Vanisource:CC Adi 17।21।श्री चैतन्य चरितामृत आदि १७।२१ )। तो लोगों को आध्यात्मिक जीवन में बिलकुल भी रूचि नहीं है। कोई अनुसन्धान नहीं " |
690523 - प्रवचन SB 01.05.01-8 - New Vrindaban, USA |