HI/750301 बातचीत - श्रील प्रभुपाद अटलांटा में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/750301R1-ATLANTA_ND_01.mp3</mp3player>|"तो जब मानव ऐसा ... तथाकथित मानव समाज ईश्वर चेतना से रहित हो जाता है, तो यह पशु समाज है। सा ईवा गो-खारो ([[Vanisource:SB 10.84.13|SB 10.84.13]])। तो यह कृष्ण चेतना आंदोलन मानव समाज को मानव समाज के वास्तविक मंच तक बढ़ाने के लिए है, न कि उन्हें पशु मंच में रखने के लिए। ईश्वर को समझने की कोशिश करें और उससे प्यार करें। यह कृष्ण चेतना आंदोलन का पदार्थ है।"|Vanisource:750301 - Conversation A - Atlanta|750301 - बातचीत A - अटलांटा}}
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Latest revision as of 03:54, 14 January 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
जब मानव समाज... तथाकथित मानव समाज भगवद भावनामृत से रहित हो जाता है, तो यह पशु समाज है। स एव गो-खर: (श्री.भा.१०.८४.१३)। तो यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन मानव समाज को मानवता के वास्तविक मंच तक बढ़ाने के लिए है, न कि उन्हें पशु समाज में स्थिर रखने के लिए। भगवान को समझने का प्रयास करें और उनसे प्रेम करें। यह कृष्ण भावनामृत का सार है।
750301 - बातचीत - अटलांटा