यदि आप सर्वोच्च, पूर्ण, को महसूस करना चाहते हैं, तो आपको एक निश्चित प्रकार कि तपस्या करने के लिए सहमत होना पड़ेगा । अन्यथा, यह संभव नहीं है । प्रारंभिक छोटी सी तपस्या — जैसे कि एकादशी; यह भी तपस्या में से एक है । दरअसल, एकादशी के दिन हम कोई भोजन नहीं लेना हैं, यहाँ तक कि पानी भी नहीं । लेकिन हमारे समाज में हम इतनी सख्ती से एकादशी नहीं कर रहे हैं । हम कहते हैं, 'एकादशी पर आप अनाज न लें । सिर्फ थोड़ा फल, दूध लें ’। यह एक तपस्या ही है । तो क्या हम इतनी सी तपस्या नही कर सकते ? अगर हम एकादशी जैसी एक बहुत आसानी से किये जाने वाली तपस्या के लिए तैयार नहीं हैं, तो हम भगवद धाम वापस जाने की उम्मीद कैसे कर सकते है ?
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