HI/690917 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690917SB-LONDON_ND_01.mp3</mp3player>|"एक जीव आत्मा, सर्वोच्च भगवान का हिस्सा होने के नाते, वह प्रकृति से बहुत शक्तिशाली है। हम नहीं जानते कि हमें कितनी आध्यात्मिक शक्ति मिली है, लेकिन यह भौतिक आवरण से दबाया जा रहा है। बस इस आग की तरह। यह आग में अगर बहुत सारी राख हैं, तो आग की गर्मी ठीक तरह से महसूस नहीं होती है। लेकिन आप राख को निकालते हैं और केवल हवा देते हैं, जब यह जल रही है, तो आपको उचित गर्मी मिलती है और आप इसे कई उद्देश्यों के लिए उपयोग कर सकते हैं। इसी प्रकार, हम जीव आत्मा के रूप में, हमारे पास बहुत अधिक शक्ति है। और भगवान सर्वोच्च परमात्मा है, इसलिए हम कल्पना नहीं कर सकते कि भगवान में कितनी शक्ति है।"|Vanisource:690917 - Lecture SB 05.05.02 - London|690917 - Lecture SB 05.05.02 - London}}
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{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690916b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690916b|HI/690924 बातचीत - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690924}}
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Latest revision as of 13:41, 13 November 2022

Nectar Drops from Srila Prabhupada
एक जीव आत्मा, भगवान् का अंश होने के नाते, वह स्वाभाविक तौर पे शक्तिशाली है। हम नहीं जानते कि हमें कितनी आध्यात्मिक शक्ति मिली है, लेकिन यह भौतिक आवरण से दबाया जा रहा है। जैसे इस आग की तरह। यह आग में अगर बहुत सारी राख हैं, तो आग की गर्मी ठीक तरह से महसूस नहीं होती है। लेकिन आप राख को निकालते हैं और केवल हवा देते हैं, जब यह जल रही है, तो आपको उचित गर्मी मिलती है और आप इसे कई उद्देश्यों के लिए उपयोग कर सकते हैं। इसी प्रकार, जीव आत्मा के रूप में, हमारे पास बहुत अधिक शक्ति है। और भगवान सर्वोच्च परमात्मा है, इसलिए हम कल्पना नहीं कर सकते कि भगवान में कितनी शक्ति है।
690917 - प्रवचन श्री.भा. ५.५.२ - लंडन