HI/701213b बातचीत - श्रील प्रभुपाद इंदौर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 05:42, 13 February 2023

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"मनुष्याणां सहस्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये (भ.गी ७.३)। आध्यात्मिक ज्ञान विकसित करने का अर्थ है जीवन की पूर्णता। परंतु लोग इसके लिए प्रयास नहीं करते है। इसलिए गीता कहती है, मनुष्याणां सहस्रेषु: "हज़ारों पुरुषों में,कोई एक आध्यात्मिक उन्नति के लिए ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास कर सकता है।" और यततामपि सिद्धानां (भ.गी ७.३): ऐसे कई व्यक्तियों में से जो आध्यात्मिक ज्ञान को प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं, शायद ही कोई यह समझ सके कि कृष्ण कौन हैं।"
701213 - बातचीत B - इंदौर