HI/Prabhupada 0860 - यह ब्रिटिश सरकार की नीति थी कि हर भारतीय चीज़ की निंदा करना: Difference between revisions
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प्रभुपाद: दिमाग है, लेकिन प्रतिकूल दिमाग । जैसे पागल, उसका दिमाग है, लेकिन उस दिमाग का मूल्य क्या है? तुम एक पागल आदमी की राय लेने के लिए नहीं जाअोगे । दिमाग है उसका, लेकिन वह एक पागल आदमी | प्रभुपाद: दिमाग है, लेकिन प्रतिकूल दिमाग । जैसे पागल, उसका दिमाग है, लेकिन उस दिमाग का मूल्य क्या है ? तुम एक पागल आदमी की राय लेने के लिए नहीं जाअोगे । दिमाग है उसका, लेकिन वह एक पागल आदमी है । मूढा । माययापहृत ज्ञान ([[HI/BG 7.15|भ.गी. ७.१५]]) । उसका ज्ञान छीन लिया गया है । दिमाग, क्या कहते हैं, अव्यवस्थित हालत में है, उसकी राय का कोई मूल्य नहीं है । | ||
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निर्देशक: लेकिन | निर्देशक: लेकिन पूंजीपति या कोई अौर... | ||
प्रभुपाद: नहीं, | प्रभुपाद: नहीं, नहीं । यह निहित स्वार्थ नहीं है । यह निहित नहीं है, यह चरित्र है , जैसे सम । वह क्या है, शांतिपूर्ण । | ||
निर्देशक: वे अपने स्वयं का एक वर्ग बना सकते हैं और अपने स्वयं के हित के तहत और उसके | निर्देशक: वे अपने स्वयं का एक वर्ग बना सकते हैं और अपने स्वयं के हित के तहत और उसके अनुसार दुनिया का शासन करने की कोशिश कर सकते हैं... | ||
प्रभुपाद: नहीं, | प्रभुपाद: नहीं, नहीं । क्योंकि वे ईमानदार हैं, ये उनका कथन है । वे एसा नहीं करेंगे । | ||
निर्देशक: उन्हे शास्त्र के अनुसार करना होगा । | निर्देशक: उन्हे शास्त्र के अनुसार करना होगा । | ||
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निर्देशक: अब, क्या अगर | निर्देशक: अब, क्या अगर वह गुमराह हो ? | ||
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निर्देशक: दुनिया परिवर्तित होती है, और क्योंकि वह शास्त्र | निर्देशक: दुनिया परिवर्तित होती है, और क्योंकि वह शास्त्र... | ||
प्रभुपाद: केवल क्योंकि वे पालन नहीं करते । जैसे भारत में यह ब्राह्मण का चरित्र | प्रभुपाद: केवल क्योंकि वे पालन नहीं करते । जैसे भारत में यह ब्राह्मण का चरित्र है । फिर बाद में धीरे-धीरे, संस्कृति खो गई थी पिछले एक हजार साल से, क्योंकि भारत विदेशियों के अाधीन था । मुसलमान, वे अपनी संस्कृति को ले अाए । फिर अंग्रेज आए । उन्होंन... हर किसी का स्वार्थ होता है । अंग्रेज, ब्रिटिश शासन जब आया था, उनके लार्ड मैकाले का निजी रिपोर्ट था कि "अगर तुम भारतीय हिंदू के रूप में उन्हें रखना चाहते हो, तो तुम उन पर शासन करने में सक्षम कभी नहीं होगे ।" तो यह ब्रिटिश सरकार की नीति थी कि हर भारतीय चीज़ की निंदा करें । | ||
निर्देशक: लेकिन आपने कहा कि पहले पीने की अनुमति नहीं दी गई, | निर्देशक: लेकिन आपने कहा कि पहले पीने की अनुमति नहीं दी गई, ब्रिटिश । | ||
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निर्देशक: केवल अब | निर्देशक: केवल अब... आपने पहले नहीं कहा था ? | ||
प्रभुपाद: हाँ, ब्रिटिश नें अनुमति | प्रभुपाद: हाँ, ब्रिटिश नें अनुमति दी । ब्रिटिश, बहुत ध्यान से, क्योंकि उन्होंने सीधे, मेरे कहने का यह मतलब है, उनकी संस्कृति पर हाथ नहीं डाला । लेकिन छिप कर । अौर जब वे अब प्रशिक्षित हो गए हैं, अब वे खुले तौर पर कर रहे हैं । लेकिन प्रशिक्षण अंग्रेजों द्वारा किया गया था । सज्जन के समाज में पीना होना चाहिए । यह परिचय था । | ||
निर्देशक: लेकिन भारतीय समाज में, ये निषेध है भारतीय में । | निर्देशक: लेकिन भारतीय समाज में, ये निषेध है भारतीय में । | ||
प्रभुपाद: भारतीय समाज में, वे चाय पीना भी नहीं जानते थे । हमारे बचपन में हमने देखा है कि अंग्रेजों नें चाय बागान शुरू किया । अंग्रेजों से पहले कोई चाय के पौधे नहीं थे । अंग्रेजों नें देखा कि श्रम बहुत सस्ता है, और वे व्यापार करना चाहते हैं, उन्होंने शुरू | प्रभुपाद: भारतीय समाज में, वे चाय पीना भी नहीं जानते थे । हमारे बचपन में हमने देखा है कि अंग्रेजों नें चाय बागान शुरू किया । अंग्रेजों से पहले कोई चाय के पौधे नहीं थे । अंग्रेजों नें देखा कि श्रम बहुत सस्ता है, और वे व्यापार करना चाहते हैं, उन्होंने शुरू किया । जैसे वे अफ्रीका में कर रहे हैं, इतने सारे उद्यान, कॉफी और चाय । तो उन्होंने शुरू किया ह, और यह चाय अमेरिका में बेचा जाता है । वे व्यापार के पीछे थे । तो अब, इतनी चाय, कौन पिएगा ? सरकार ने एक चाय सेट समिति शुरू किया । सभी चाय बागान धारक, वे सरकार को भुगतान करेंगे । और हर सड़क में, हर सडक़ में, उनका काम था प्रचार, चाय बनाना, बहुत अच्छी, स्वादिष्ट चाय, और वे विज्ञापन कर रहे थे अगर तुम चाय पीते हो, तो तुम्हे बहुत ज्यादा भूख नहीं लगेगी, और तुम्हारी मलेरिया चली जाएगी, इत्यादि । और लोग चाय पीने लगे । "अच्छा कप ।" मैंने इसे देखा है । अब उन्हे स्वाद मिला गया है । अब धीरे-धीरे, एक झाडू लगाने वाला भी, सुबह में, चाय की दुकान में इंतज़ार कर रहा है चाय का एक कप पाने के लिए । | ||
हमारे बचपन में चाय का इस्तेमाल किया जाता था अगर किसी को खाँसी है, कभी कभी वे चाय लेते थे । बाद में भी यही था । लेकिन यह अज्ञात था । शराब पीना, धूम्रपान, मांस खाने, चाय पीने - इन बातों से अनजान थे । वेश्यावृत्ति । वेश्यावृत्ति थी । ऐसा नहीं है कि हर कोई वेश्या है । बहुत सख्त । इसलिए इन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए - कम से कम पुरुषों का एक वर्ग लोगों के लिए आदर्श होना चाहिए, दूसरे देखेंगे । और प्रशिक्षण होना चाहिए, जैसे हम कर रहे हैं । हम लोगों को आमंत्रित कर रहे हैं, कि अाइए हमारे साथ नृत्य करने के लिए, हमारे साथ कीर्तन करने के लिए, प्रसाद लेने के लिए । और धीरे धीरे वे अा रहे हैं । वही लोग, मांस खाने के आदी, वेश्यावृत्ति के आदी, पीने के आदी, वे साधु हो गए है । यह व्यावहारिक है । आप देख सकते हैं ,उनका पिछला इतिहास और वे अब क्या हैं । | |||
प्रभुपाद: यह एक मूर्खता | निर्देशक: लेकिन हम कैसे समझें इस बात को कि हमारे डॉक्टर कहते हैं कि मांस खाना चाहिए प्रोटीन के लिए ? | ||
प्रभुपाद: यह एक मूर्खता है । वे पिछले दस वर्षों से मांस नहीं खा रहे हैं । आपको लगता है कि उनके स्वास्थ्य में कमी हुई है ? बल्कि, लोग कहते हैं कि "उज्ज्वल चेहरे ।" बोस्टन में... एक पुजारी, मैं लॉस एंजिल्स से हवाई जा रहा था । सादे पोशाक में एक सज्जन, वह एक पुजारी है, उन्होंने कहा, "स्वामीजी, कैसे अापके छात्र बहुत उज्ज्वल लगते हैं ?" और कभी कभी हमारा विज्ञापन होता है "उज्ज्वल चेहरे ।" बोस्टन में या कहीं अौर महिलाऍ पूछ रही थी, "आप अमेरिकी हैं ?" | |||
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Latest revision as of 19:24, 17 September 2020
750521 - Conversation - Melbourne
निर्देशक: अापको नहीं लगता है कि किसानों का अपने स्वयं का दिमाग है ?
प्रभुपाद: दिमाग है, लेकिन प्रतिकूल दिमाग । जैसे पागल, उसका दिमाग है, लेकिन उस दिमाग का मूल्य क्या है ? तुम एक पागल आदमी की राय लेने के लिए नहीं जाअोगे । दिमाग है उसका, लेकिन वह एक पागल आदमी है । मूढा । माययापहृत ज्ञान (भ.गी. ७.१५) । उसका ज्ञान छीन लिया गया है । दिमाग, क्या कहते हैं, अव्यवस्थित हालत में है, उसकी राय का कोई मूल्य नहीं है ।
निर्देशक:अौर क्या अगर ब्राह्मण अपने स्वयं के स्वार्थ में दुनिया पर राज करना शुरु करें ?
प्रभुपाद: हम्म?
भक्त: वह कहते हैं कि क्या अगर ब्राह्मण अपने निहित स्वार्थ के लिए दुनिया पर राज करना शुरू करें ?
प्रभुपाद: नहीं, नहीं ।
निर्देशक: लेकिन पूंजीपति या कोई अौर...
प्रभुपाद: नहीं, नहीं । यह निहित स्वार्थ नहीं है । यह निहित नहीं है, यह चरित्र है , जैसे सम । वह क्या है, शांतिपूर्ण ।
निर्देशक: वे अपने स्वयं का एक वर्ग बना सकते हैं और अपने स्वयं के हित के तहत और उसके अनुसार दुनिया का शासन करने की कोशिश कर सकते हैं...
प्रभुपाद: नहीं, नहीं । क्योंकि वे ईमानदार हैं, ये उनका कथन है । वे एसा नहीं करेंगे ।
निर्देशक: उन्हे शास्त्र के अनुसार करना होगा ।
प्रभुपाद: हाँ । ईमानदार का मतलब है, वह हर किसी के हित के लिए है, अपने स्वयं के हित के लिए नहीं । यही ईमानदारी है ।
निर्देशक: अब, क्या अगर वह गुमराह हो ?
प्रभुपाद: हु?
निर्देशक: दुनिया परिवर्तित होती है, और क्योंकि वह शास्त्र...
प्रभुपाद: केवल क्योंकि वे पालन नहीं करते । जैसे भारत में यह ब्राह्मण का चरित्र है । फिर बाद में धीरे-धीरे, संस्कृति खो गई थी पिछले एक हजार साल से, क्योंकि भारत विदेशियों के अाधीन था । मुसलमान, वे अपनी संस्कृति को ले अाए । फिर अंग्रेज आए । उन्होंन... हर किसी का स्वार्थ होता है । अंग्रेज, ब्रिटिश शासन जब आया था, उनके लार्ड मैकाले का निजी रिपोर्ट था कि "अगर तुम भारतीय हिंदू के रूप में उन्हें रखना चाहते हो, तो तुम उन पर शासन करने में सक्षम कभी नहीं होगे ।" तो यह ब्रिटिश सरकार की नीति थी कि हर भारतीय चीज़ की निंदा करें ।
निर्देशक: लेकिन आपने कहा कि पहले पीने की अनुमति नहीं दी गई, ब्रिटिश ।
प्रभुपाद: हु ?
निर्देशक: केवल अब... आपने पहले नहीं कहा था ?
प्रभुपाद: हाँ, ब्रिटिश नें अनुमति दी । ब्रिटिश, बहुत ध्यान से, क्योंकि उन्होंने सीधे, मेरे कहने का यह मतलब है, उनकी संस्कृति पर हाथ नहीं डाला । लेकिन छिप कर । अौर जब वे अब प्रशिक्षित हो गए हैं, अब वे खुले तौर पर कर रहे हैं । लेकिन प्रशिक्षण अंग्रेजों द्वारा किया गया था । सज्जन के समाज में पीना होना चाहिए । यह परिचय था ।
निर्देशक: लेकिन भारतीय समाज में, ये निषेध है भारतीय में ।
प्रभुपाद: भारतीय समाज में, वे चाय पीना भी नहीं जानते थे । हमारे बचपन में हमने देखा है कि अंग्रेजों नें चाय बागान शुरू किया । अंग्रेजों से पहले कोई चाय के पौधे नहीं थे । अंग्रेजों नें देखा कि श्रम बहुत सस्ता है, और वे व्यापार करना चाहते हैं, उन्होंने शुरू किया । जैसे वे अफ्रीका में कर रहे हैं, इतने सारे उद्यान, कॉफी और चाय । तो उन्होंने शुरू किया ह, और यह चाय अमेरिका में बेचा जाता है । वे व्यापार के पीछे थे । तो अब, इतनी चाय, कौन पिएगा ? सरकार ने एक चाय सेट समिति शुरू किया । सभी चाय बागान धारक, वे सरकार को भुगतान करेंगे । और हर सड़क में, हर सडक़ में, उनका काम था प्रचार, चाय बनाना, बहुत अच्छी, स्वादिष्ट चाय, और वे विज्ञापन कर रहे थे अगर तुम चाय पीते हो, तो तुम्हे बहुत ज्यादा भूख नहीं लगेगी, और तुम्हारी मलेरिया चली जाएगी, इत्यादि । और लोग चाय पीने लगे । "अच्छा कप ।" मैंने इसे देखा है । अब उन्हे स्वाद मिला गया है । अब धीरे-धीरे, एक झाडू लगाने वाला भी, सुबह में, चाय की दुकान में इंतज़ार कर रहा है चाय का एक कप पाने के लिए ।
हमारे बचपन में चाय का इस्तेमाल किया जाता था अगर किसी को खाँसी है, कभी कभी वे चाय लेते थे । बाद में भी यही था । लेकिन यह अज्ञात था । शराब पीना, धूम्रपान, मांस खाने, चाय पीने - इन बातों से अनजान थे । वेश्यावृत्ति । वेश्यावृत्ति थी । ऐसा नहीं है कि हर कोई वेश्या है । बहुत सख्त । इसलिए इन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए - कम से कम पुरुषों का एक वर्ग लोगों के लिए आदर्श होना चाहिए, दूसरे देखेंगे । और प्रशिक्षण होना चाहिए, जैसे हम कर रहे हैं । हम लोगों को आमंत्रित कर रहे हैं, कि अाइए हमारे साथ नृत्य करने के लिए, हमारे साथ कीर्तन करने के लिए, प्रसाद लेने के लिए । और धीरे धीरे वे अा रहे हैं । वही लोग, मांस खाने के आदी, वेश्यावृत्ति के आदी, पीने के आदी, वे साधु हो गए है । यह व्यावहारिक है । आप देख सकते हैं ,उनका पिछला इतिहास और वे अब क्या हैं ।
निर्देशक: लेकिन हम कैसे समझें इस बात को कि हमारे डॉक्टर कहते हैं कि मांस खाना चाहिए प्रोटीन के लिए ?
प्रभुपाद: यह एक मूर्खता है । वे पिछले दस वर्षों से मांस नहीं खा रहे हैं । आपको लगता है कि उनके स्वास्थ्य में कमी हुई है ? बल्कि, लोग कहते हैं कि "उज्ज्वल चेहरे ।" बोस्टन में... एक पुजारी, मैं लॉस एंजिल्स से हवाई जा रहा था । सादे पोशाक में एक सज्जन, वह एक पुजारी है, उन्होंने कहा, "स्वामीजी, कैसे अापके छात्र बहुत उज्ज्वल लगते हैं ?" और कभी कभी हमारा विज्ञापन होता है "उज्ज्वल चेहरे ।" बोस्टन में या कहीं अौर महिलाऍ पूछ रही थी, "आप अमेरिकी हैं ?"