HI/680826 बातचीत - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
No edit summary
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - मॉन्ट्रियल]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - मॉन्ट्रियल]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680826QA-MONTREAL_ND_01.mp3</mp3player>|"चैतन्य महाप्रभु के पास ये सभी खूबियाँ थीं। वे अपने देश में बहुत सम्मानित एवं ज्ञानी युवा थे। उनकी कई पारषद थे। एक घटना में हम समझ सकते हैं कि वे कितने प्रिय नेता थे। काजी ने उनके संकीर्तन आंदोलन को चुनौती दी और पहली बार उन्हें हरे कृष्ण का जाप न करने की चेतावनी दी, और जब उन्होंने इसकी परवाह नहीं की, तो काजी ने आदेश दिया कि, मृदंग को तोड़ देना चाहिए। इसलिए सैनिको ने आकर मृदंग को तोड़ा। यह जानकारी भगवान चैतन्य को दी गई, और उन्होंने सविनय अवज्ञा का आदेश दिया। वह भारत के इतिहास में पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की थी। |Vanisource:680826 - Conversation - Montreal|680826 - बातचीत - मॉन्ट्रियल}}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/680825 बातचीत - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680825|HI/680826b बातचीत - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680826b}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680826QA-MONTREAL_ND_01.mp3</mp3player>|चैतन्य महाप्रभु के पास सभी सुविधाए थीं। वे अपने राज्य में बहुत सम्मानित एवं ज्ञानी युवा थे; उनके कई अनुयायी थे। एक घटना से हम समझ सकते हैं कि वे कितने लोकप्रिय नेता थे। चाँद काज़ी ने उनके संकीर्तन आंदोलन को चुनौती दी और पहली बार उन्हें हरे कृष्ण का जप न करने की चेतावनी दी, और जब उन्होंने इसकी परवाह नहीं की, तो काज़ी ने मृदंग को तोड़ देने का आदेश दिया। तो सैनिको ने आकर मृदंग को तोड़ दिया। इस घटना की जानकारी भगवान चैतन्य को दी गई, और उन्होंने सविनय अवज्ञा का आदेश दिया। वह भारत के इतिहास में पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की थी।|Vanisource:680826 - Conversation - Montreal|680826 - बातचीत - मॉन्ट्रियल}}

Latest revision as of 06:51, 22 June 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
चैतन्य महाप्रभु के पास सभी सुविधाए थीं। वे अपने राज्य में बहुत सम्मानित एवं ज्ञानी युवा थे; उनके कई अनुयायी थे। एक घटना से हम समझ सकते हैं कि वे कितने लोकप्रिय नेता थे। चाँद काज़ी ने उनके संकीर्तन आंदोलन को चुनौती दी और पहली बार उन्हें हरे कृष्ण का जप न करने की चेतावनी दी, और जब उन्होंने इसकी परवाह नहीं की, तो काज़ी ने मृदंग को तोड़ देने का आदेश दिया। तो सैनिको ने आकर मृदंग को तोड़ दिया। इस घटना की जानकारी भगवान चैतन्य को दी गई, और उन्होंने सविनय अवज्ञा का आदेश दिया। वह भारत के इतिहास में पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की थी।
680826 - बातचीत - मॉन्ट्रियल