HI/680826b बातचीत - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
एक ब्राह्मण से काम करने की उम्मीद नहीं की जाती है । वह धन प्रतिग्रह है । प्रतिग्रह का अर्थ है दूसरों से मिलने वाले उपहारो को स्वीकार करना । ठीक वैसे ही जैसे तुमने मुझे बहुत सी चीजें अर्पित की हैं - पैसा, वस्त्र, भोजन - तो संन्यासी, ब्राह्मण, स्वीकार कर सकता है । दूसरे नहीं । एक गृहस्थ नहीं कर सकता । उस पर प्रतिबंध हैं । एक ब्रह्मचारी स्वीकार कर सकता है, लेकिन वह अपने आध्यात्मिक गुरु के लिए स्वीकार कर सकता है, खुद के लिए नहीं । ये नियम हैं । |
680826 - बातचीत - मॉन्ट्रियल |