HI/770129 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद भुवनेश्वर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
No edit summary
 
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७७]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७७]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - भुवनेश्वर]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - भुवनेश्वर]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/770129MW-BHUVANESVARA_ND_01.mp3</mp3player>|"धर्म का अर्थ है कि आप भगवान में विश्वास करते हैं और उनसे प्रेम करते हैं। बस, तीन शब्द, धर्म। 'आप भगवान में विश्वास करते है' अर्थात् भगवान को जानें, भगवान क्या है? और उनसे प्रेम करें। बस। यही धर्म है। तो इससे अंतर नहीं पडता कि आप भगवान को ईसाई पद्धति से या हिंदू पद्धति से समझते हैं। लेकिन आप भगवान से प्रेम करते हैं, और आप भगवान के आदेशों का पालन करते हैं - फिर आप धार्मिक हैं।"|Vanisource:770129 - Morning Walk - Bhuvanesvara|770129 - सुबह की सैर - भुवनेश्वर}}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/770127 बातचीत - श्रील प्रभुपाद जगन्नाथ पुरी में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|770127|HI/770201 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद भुवनेश्वर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|770201}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/770129MW-BHUVANESVARA_ND_01.mp3</mp3player>|"धर्म का अर्थ है कि आप भगवान में विश्वास करते हैं और उनसे प्रेम करते हैं। केवल यही 'आप भगवान में विश्वास करते है' अर्थात् भगवान को जानें, भगवान क्या है? और उनसे प्रेम करें। बस। यह ही धर्म है। तो इससे फर्क़ नहीं पड़ता कि आप भगवान को ईसाई पद्धति से या हिंदू पद्धति से समझते हैं। यदि  आप भगवान से प्रेम करते हैं, और आप भगवान के आदेशों का पालन करते हैं - फिर आप धार्मिक हैं।"|Vanisource:770129 - Morning Walk - Bhuvanesvara|770129 - सुबह की सैर - भुवनेश्वर}}

Latest revision as of 02:27, 10 February 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"धर्म का अर्थ है कि आप भगवान में विश्वास करते हैं और उनसे प्रेम करते हैं। केवल यही 'आप भगवान में विश्वास करते है' अर्थात् भगवान को जानें, भगवान क्या है? और उनसे प्रेम करें। बस। यह ही धर्म है। तो इससे फर्क़ नहीं पड़ता कि आप भगवान को ईसाई पद्धति से या हिंदू पद्धति से समझते हैं। यदि आप भगवान से प्रेम करते हैं, और आप भगवान के आदेशों का पालन करते हैं - फिर आप धार्मिक हैं।"
770129 - सुबह की सैर - भुवनेश्वर