HI/700512c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 02:23, 11 September 2021
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"हमें बहुत गंभीरता से इस कृष्ण भावनामृत का निष्पादन करना चाहिए- बिना किसी विचलन के, बहुत गंभीरता से। हमें इस बात पर ध्यान नहीं देना चाहिए, कि यह एक व्यवहार है या हम पर कुछ थोपा गया है। नहीं। यह सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। मानव जीवन का अर्थ केवल कृष्ण भावनामृत को विकसित करना है। इसके अतिरिक्त कोई अन्य कार्य नहीं है। परंतु दुर्भाग्य से, हमने इतनी सारी व्यस्तताएँ उत्पन्न कर दी हैं कि हम कृष्ण भावनामृत को भूल जाते हैं। इसे माया कहते हैं।" |
700512 - प्रवचन इशो ०८ - लॉस एंजेलेस |