HI/720229 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/720229GP-MAYAPUR_ND_01.mp3</mp3player>|"यह भौतिक शरीर कैसे शुद्ध हो सकता है? हाँ, यह हो सकता है, उदाहरण के लिए जैसे आप लोहे की छड़ी को लीजिये और इसे आग में डालिये और इसे गर्म करते जाइये, यह गर्म, गर्म, और गर्म होता जायेगा और अंत में यह लाल गर्म हो जायेगा। उस समय यह लोहे की छड़ी नहीं है, यह अग्नि है। आप कहीं भी स्पर्श करो यह जल जाएगी, इसी तरह यदि आप सिद्धांतों के अनुसार हरे कृष्ण मंत्र का नियमित जप करते हो तो धीरे-धीरे आपका पूरा शरीर आध्यात्मिक हो जायेगा। फिर यह अपाप विद्धम है और कोई पाप नहीं। तो आपको अपना पूरा जीवन पूर्ण पवित्र बनाना होगा तभी आपको भगवान के राज्य में, वापस भगवद्धाम, वापस घर में प्रवेश मिलेगा।"|Vanisource:720229 - Lecture Festival Gaura-Purnima - Mayapur|७२०२२९ - प्रवचन - गौर पूर्णिमा उत्सव - मायापुर}}
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/720229GP-MAYAPUR_ND_01.mp3</mp3player>|"यह भौतिक शरीर कैसे शुद्ध हो सकता है? हाँ, यह हो सकता है, उदाहरण के लिए जैसे आप लोहे की छड़ी को लीजिये और इसे आग में डालिये और इसे गर्म करते जाइये, यह गर्म, गर्म, और गर्म होता जायेगा और अंत में यह लाल गर्म हो जायेगा। उस समय यह लोहे की छड़ी नहीं है, यह अग्नि है। आप कहीं भी स्पर्श करो यह जल जाएगी, इसी तरह यदि आप सिद्धांतों के अनुसार हरे कृष्ण मंत्र का नियमित जप करते हो तो धीरे-धीरे आपका पूरा शरीर आध्यात्मिक हो जायेगा। फिर यह अपाप विद्धम है और कोई पाप नहीं। तो आपको अपना पूरा जीवन पूर्ण पवित्र बनाना होगा तभी आपको भगवान के राज्य में, वापस भगवद्धाम, वापस घर में प्रवेश मिलेगा।"|Vanisource:720229 - Lecture Festival Gaura-Purnima - Mayapur|७२०२२९ - प्रवचन - गौर पूर्णिमा उत्सव - मायापुर}}

Latest revision as of 23:19, 20 July 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यह भौतिक शरीर कैसे शुद्ध हो सकता है? हाँ, यह हो सकता है, उदाहरण के लिए जैसे आप लोहे की छड़ी को लीजिये और इसे आग में डालिये और इसे गर्म करते जाइये, यह गर्म, गर्म, और गर्म होता जायेगा और अंत में यह लाल गर्म हो जायेगा। उस समय यह लोहे की छड़ी नहीं है, यह अग्नि है। आप कहीं भी स्पर्श करो यह जल जाएगी, इसी तरह यदि आप सिद्धांतों के अनुसार हरे कृष्ण मंत्र का नियमित जप करते हो तो धीरे-धीरे आपका पूरा शरीर आध्यात्मिक हो जायेगा। फिर यह अपाप विद्धम है और कोई पाप नहीं। तो आपको अपना पूरा जीवन पूर्ण पवित्र बनाना होगा तभी आपको भगवान के राज्य में, वापस भगवद्धाम, वापस घर में प्रवेश मिलेगा।"
७२०२२९ - प्रवचन - गौर पूर्णिमा उत्सव - मायापुर