HI/BG 1.4: Difference between revisions

(Bhagavad-gita Compile Form edit)
 
No edit summary
 
Line 6: Line 6:
==== श्लोक 4 ====
==== श्लोक 4 ====


<div class="verse">
<div class="devanagari">
:''अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि ।''
:अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि ।
:''युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथ: ॥ ४॥''
:युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः ॥४॥
 
</div>
</div>


Line 18: Line 17:
</div>
</div>


==== अनुबाद ====
==== अनुवाद ====


<div class="translation">
<div class="translation">

Latest revision as of 15:59, 23 July 2020

His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupāda


श्लोक 4

अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि ।
युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः ॥४॥

शब्दार्थ

अत्र—यहाँ; शूरा:—वीर; महा-इषु-आसा:—महान धनुर्धर; भीम-अर्जुन—भीम तथा अर्जुन; समा:—के समान; युधि—युद्ध में; युयुधान:—युयुधान; विराट:—विराट; च—भी; द्रुपद:—द्रुपद; च—भी; महा-रथ:—महान योद्धा।

अनुवाद

इस सेना में भीम तथा अर्जुन के समान युद्ध करने वाले अनेक वीर धनुर्धर हैं – यथा महारथी युयुधान, विराट तथा द्रुपद ।

तात्पर्य

यद्यपि युद्धकला में द्रोणाचार्य की महान शक्ति के समक्ष धृष्टदयुम्न महत्त्वपूर्ण बाधक नहीं था किन्तु ऐसे अनेक योद्धा थे जिनसे भय था । दुर्योधन इन्हें विजय-पथ में अत्यन्त बाधक बताता है क्योंकि इनमें से प्रत्येक योद्धा भीम तथा अर्जुन के समान दुर्जेय था । उसे भीम तथा अर्जुन के बल का ज्ञान था, इसीलिए वह अन्यों की तुलना इन दोनों से करता है ।