HI/BG 1.5

His Divine Grace A.C. Bhaktivedanta Swami Prabhupāda


श्लोक 5

धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान् ।
पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुंगवः ॥५॥

शब्दार्थ

धृष्टकेतु:—धृष्टकेतु; चेकितान:—चेकितान; काशिराज:—काशिराज; च—भी; वीर्यवान्—अ त्यन्त शक्तिशाली; पुरुजित्—पुरुजित्; कुन्तिभोज:—कुन्तिभोज; च—तथा; शैब्य:—शैब्य; च—तथा; नर-पुङ्गïव:—मानव समाज में वीर।

अनुवाद

इनके साथ ही धृष्टकेतु, चेकितान, काशिराज, पुरुजित्, कुन्तिभोज तथा शैब्य जैसे महान शक्तिशाली योद्धा भी हैं ।