HI/740928 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 16:12, 28 December 2021
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"यदि आप कृष्ण को नहीं समझते हैं, तो आपके तथाकथित वेद और वेदांत और उपनिषद का पढ़ना, वे समय की बर्बादी हैं। इसलिए यहाँ कुन्ती महारानी सीधे कह रही हैं कि 'मेरे प्रिय कृष्ण, आप आदि पुरुषं, आप मूल व्यक्ति हैं, और ईश्वर हैं। आप सामान्य व्यक्ति नहीं हैं, आप सर्वोच्च नियंत्रक हैं '( श्री.भा.०१.०८.१८)। यह ही कृष्ण की समझ है। ईश्वर: परमः कृष्ण (ब्र.सं. ५.१)। सभी लोग अपने स्तर पर नियंत्रक हैं, परंतु सर्वोच्च नियंत्रक कृष्ण है। इसलिए यद्यपि इस भौतिक संसार की निंदा की जाती है — दुखालयम असास्वातं (भ.गी. ८.१५), कृष्ण कहते हैं- यह भी कृष्ण का राज्य है, क्योंकि सब कुछ ईश्वर का है, कृष्ण का है। तो यह बद्धः जगत, बद्ध व्यक्तियों की पीड़ा के लिए बनाई गई है। बद्धः जीव कौन है? जो लोग कृष्ण को भूल गए हैं और स्वतंत्र रूप से खुश होना चाहते हैं, वे सभी निंदनीय राक्षस हैं। और जो लोग कृष्ण के सामने आत्मसमर्पण कर देते हैं, उनकी निंदा नहीं की जाती है। यह ही अंतर है।” |
740928 - प्रवचन श्री.भा. ०१.०८.१८ - मायापुर |