HI/680323b सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680323MW-SAN_FRANCISCO_ND_02.mp3</mp3player>|""जो लोग बहुत अधिक तामसिक हैं, वे इस ग्रह में रहने के लिए हैं। इस दुनिया की तरह कई अन्य ग्रह हैं। इसलिए उन्हें यहां रहने की अनुमति है। यहां सभी जीव बहुत अधिक तामसिक हैं।  अधो गच्छन्ति तामसाः ([[Vanisource:BG 14.18 (1972)|BG 14.18]]). और अन्य ग्रह भी हैं, वे इस पृथ्वी से नीचे, काले ग्रह हैं। और जानवर, वे अज्ञानता में हैं। हालांकि वे इस पार्क में हैं, लेकिन वे नहीं जानते कि वे कहां हैं, अज्ञानता में है। उनका ज्ञान विकसित नहीं है। यह अज्ञानता के तौर-तरीकों का परिणाम है। और जो लोग कृष्ण सचेत हैं, वे न तो तमस में हैं, न रजस में, न ही सत्व में। वे पारलौकिक हैं। इसलिए यदि कोई कृष्ण चेतना को अच्छी तरह से विकसित करता है, तो उसे तुरन्त कृष्णलोक के लिए पदोन्नति प्राप्त होती है। हमसे इसी की अपेक्षा है।"|Vanisource:680323 - Morning Walk - San Francisco|680323 - सुबह की सैर - सैन फ्रांसिस्को}}
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680323MW-SAN_FRANCISCO_ND_02.mp3</mp3player>|जो लोग बहुत अधिक रजोगुण में हैं, वे इस ग्रह में रहने के लिए हैं । इस दुनिया की तरह कई अन्य ग्रह हैं । तो उन्हें यहां रहने की अनुमति है । यहां सभी जीव बहुत अधिक राजसिक हैं । अधो गच्छन्ति तामसाः ([[HI/BG 14.18|भ.गी. १४.१८]]) और अन्य ग्रह भी हैं, वे इस पृथ्वी से नीचे, काले ग्रह हैं । और जानवर, वे अज्ञानता में हैं । हालांकि वे इस उद्यान में हैं, लेकिन वे नहीं जानते कि वे कहां हैं, अज्ञानता में है । उनका ज्ञान विकसित नहीं है । यह तमोगुण का परिणाम है । और जो लोग कृष्ण भावनाभावित हैं, वे न तो तमस में हैं, न रजस में, न ही सत्व में । वे दिव्य हैं । इसलिए यदि कोई कृष्ण भावनामृत को अच्छी तरह से विकसित करता है, तो उसे तुरन्त कृष्णलोक के लिए पदोन्नति प्राप्त होती है । इसी की अपेक्षा है ।|Vanisource:680323 - Morning Walk - San Francisco|680323 - सुबह की सैर - सैन फ्रांसिस्को}}

Latest revision as of 17:32, 17 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
जो लोग बहुत अधिक रजोगुण में हैं, वे इस ग्रह में रहने के लिए हैं । इस दुनिया की तरह कई अन्य ग्रह हैं । तो उन्हें यहां रहने की अनुमति है । यहां सभी जीव बहुत अधिक राजसिक हैं । अधो गच्छन्ति तामसाः (भ.गी. १४.१८) । और अन्य ग्रह भी हैं, वे इस पृथ्वी से नीचे, काले ग्रह हैं । और जानवर, वे अज्ञानता में हैं । हालांकि वे इस उद्यान में हैं, लेकिन वे नहीं जानते कि वे कहां हैं, अज्ञानता में है । उनका ज्ञान विकसित नहीं है । यह तमोगुण का परिणाम है । और जो लोग कृष्ण भावनाभावित हैं, वे न तो तमस में हैं, न रजस में, न ही सत्व में । वे दिव्य हैं । इसलिए यदि कोई कृष्ण भावनामृत को अच्छी तरह से विकसित करता है, तो उसे तुरन्त कृष्णलोक के लिए पदोन्नति प्राप्त होती है । इसी की अपेक्षा है ।
680323 - सुबह की सैर - सैन फ्रांसिस्को