HI/680702 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 17:34, 17 September 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
तो भगवद गीता को समझने के बाद, यदि किसी व्यक्ति को विश्वास हो जाता है कि" मैं अपने जीवन को कृष्ण की सेवा के लिए समर्पित कर दूंगा," तो वह श्रीमद-भागवतम के अध्ययन में प्रवेश करने के लिए पात्र है । इसका अर्थ है कि श्रीमद-भागवतम उस बिंदु से शुरू होता है जहां भागवद गीता समाप्त हो जाती है । भगवद गीता इस बिंदु पर समाप्त होती है, सर्वधर्मान परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज (भ.गी. १८.६६) । व्यक्ति को अन्य सभी कार्यो को छोड़ कर पूरी तरह आत्मसमर्पण करना चाहिए । हमेशा याद रखें, अन्य सभी कार्यो का मतलब नहीं है की सब कुछ छोड़ देना । तुम... यह समझने की कोशिश करो कि कृष्ण ने कहा है कि "तुम सब कुछ छोड़ दो और मुझे आत्मसमर्पण कर दो । तो इसका मतलब यह नहीं है कि अर्जुन ने अपनी लड़ाई की क्षमता छोड़ दी । बल्कि, उन्होंने लड़ाई को और अधिक मजबूती से लिया । |
680702 - प्रवचन श्री.भा. ७.९.८ - मॉन्ट्रियल |