HI/750714 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद फ़िलाडेल्फ़िया में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 23:16, 28 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"ईश्वर प्रकृति को आदेश देते हैं कि ' यह जीव कुछ ऐसा चाहता है। आप उसे एक मशीन दें।' इसलिए प्रकृति हमें विभिन्न प्रकार की मशीन प्रदान करती है। प्रकृतेः क्रियमाणानि गुणैः कर्माणि सर्वशः। (भ.गी. ३.२७)। मैं न तो मशीन चला रहा हूं, न ही मैंने मशीन बनाई है। मुझे काम करने या अपनी इच्छा पूरी करने के लिए उपहार के रूप में दिया गया है। यह स्थिति है। इसलिए शास्त्र कहते हैं कि ' आपको अब एक बहुत अच्छी मशीन मिल गई है।' नृ-देहम्। शरीर का मानव रूप बहुत अच्छी मशीन है। नृदेहमाद्यं सुलभं सुकल्पं। यह बहुत दुर्लभ है। बहुत मुश्किल से आपको यह मशीन मिली है, क्योंकि हमें कई मशीनों के माध्यम से आना है - एक्वेटिक्स, पौधे, कीड़े, पेड़, और नाग, सरीसृप, फिर पक्षी, फिर जानवर - लाखों और लाखों साल। जैसे आपने यह देखा है, पेड़ वहां खड़े हैं, शायद पाँच हज़ार साल से खड़े हैं। इसलिए अगर आपको वह मशीन मिल जाती है, तो आप हिल नहीं सकते, आपको एक ही जगह पर खड़ा होना होगा। तो हमें इससे गुजरना पड़ा। मूर्ख लोग, वे नहीं जानते। इसलिए यह मशीन सुलभं है। सुलभं का अर्थ है सौभाग्य से हमें यह मशीन मिल गई है।"
750714 - प्रवचन श्री.भा. ०६.०१.३० - फ़िलाडेल्फ़िया