HI/680710 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next)) |
No edit summary |
||
Line 5: | Line 5: | ||
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/680709b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680709b|HI/680710b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680710b}} | {{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/680709b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680709b|HI/680710b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680710b}} | ||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | <!-- END NAVIGATION BAR --> | ||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680710SB-MONTREAL_ND_01.mp3</mp3player>|"भौतिक स्थिति चिंता से भरी है, | {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680710SB-MONTREAL_ND_01.mp3</mp3player>|"भौतिक स्थिति चिंता से भरी है, जो कोई भी चिंता से भरा है, वह शूद्र है। यदि आप वर्तमान समाज का विश्लेषण करते हैं, कि किस व्यक्ति को चिंता नहीं है या कौन चिंता से भरा है, कोई भी नहीं कहेगा कि "मैं चिंता से भरा नहीं हूं।" "मुझे बहुत सारी चिंताएँ हैं।" तो इसका अर्थ है कि वह एक शूद्र है। कलऊ शूद्र-संभावः (स्कंद पुराण): "इस युग में, हर कोई शूद्र है।" यह निष्कर्ष निकाला गया है।"|Vanisource:680710 - Lecture SB 07.09.10 - Montreal|680710 - प्रवचन श्री.भा. ०७.०९.१० - मॉन्ट्रियल}} |
Latest revision as of 03:05, 9 June 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"भौतिक स्थिति चिंता से भरी है, जो कोई भी चिंता से भरा है, वह शूद्र है। यदि आप वर्तमान समाज का विश्लेषण करते हैं, कि किस व्यक्ति को चिंता नहीं है या कौन चिंता से भरा है, कोई भी नहीं कहेगा कि "मैं चिंता से भरा नहीं हूं।" "मुझे बहुत सारी चिंताएँ हैं।" तो इसका अर्थ है कि वह एक शूद्र है। कलऊ शूद्र-संभावः (स्कंद पुराण): "इस युग में, हर कोई शूद्र है।" यह निष्कर्ष निकाला गया है।" |
680710 - प्रवचन श्री.भा. ०७.०९.१० - मॉन्ट्रियल |