HI/710405 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 15:54, 6 May 2023
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"मैथुन-जीवन के नियम हैं। इसलिए कृष्ण कहते हैं, धर्म-अविरुद्ध: मैथुन जीवन कुछ नियमों के अंतर्गत स्वीकृत है। यह मानवता है। यहां तक कि बिल्लियों और कुत्तों के जीवन में भी कुछ सीमा होती है। उनको एक अवधि का मैथुन जीवन मिलता है। इसी प्रकार, गृहस्थ के लिए, मैथुन जीवन की अवधि होती है। मासिक धर्म के बाद, मासिक धर्म के पांच दिन बाद, बच्चों को जन्म देने के लिए मैथुन जीवन हो सकता है। तथा यदि पत्नी गर्भवती है, तो फिर जब तक शिशु का जन्म नहीं होता तथा वह छह महीने का नहीं होता, तब तक कोई मैथुन जीवन नहीं है। ये सब नियम हैं।" |
७१०४०५ - प्रवचन भ.गी. ०७.११-१३ - बॉम्बे |