HI/Prabhupada 0925 - कामदेव हर किसी को मोहित करते है । और कृष्ण कामदेव को मोहित करते हैं: Difference between revisions
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अनुवाद: "मेरे प्रिय | अनुवाद: "मेरे प्रिय कृष्ण, यशोदा नें एक रस्सी ली अापको बाँधने केलिए जब आपने अपराध किया, और आपकी परेशान आँखें आँसूअों से भर गई, जिसने अापकी आँखों से काजल को धो दिया । अौर आप डरे हुए थे, हालांकि साक्षात डर अापसे ड़रता है । यह दृष्य मेरे लिए विस्मयकारी है ।" | ||
प्रभुपाद: यह भी | प्रभुपाद: यह भी कृष्ण की एक और संपन्नता है । कृष्ण छह प्रकार के संपन्नताअों से भरे हैं । तो यह संपन्नता है सौंदर्य, सौंदर्य संपन्नता । श्री कृष्ण की छह संपन्नताऍ हैं : पूर्ण धन, पूर्ण शक्ति, पूर्ण प्रभाव, पूर्ण ज्ञान, पूर्ण सौंदर्य, पूर्ण त्याग । तो यह श्री कृष्ण के सौंदर्य की संपन्नता है । श्री कृष्ण चाहते हैं कि हर कोई... जैसे हम, जैसे हम दण्ड़वत करते हैं श्री कृष्ण को श्रद्धायुक्त भय और सम्मान के साथ | लेकिन कोई भी यहाँ एक रस्सी के साथ नहीं अाता है श्री कृष्ण के पास: "श्री कृष्ण, आप अपराधी हैं । मैं आपको बांधूँगा ।" कोई नहीं आता है । (हंसी) | ||
यही सबसे उत्तम भक्त का एक और विशेषाधिकार है । हाँ। श्री कृष्ण चाहते हैं । क्योंकि वे संपन्नता से भरे हैं... यह भी एक और संपन्नता है । अणोर अणीयान महतो महीयान । सबसे बड़े से बड़ा और सबसे छोटे से छोटा । यही संपन्नता है । तो कुंतीदेवी श्री कृष्ण की संपन्नता के बारे में सोच रही हैं, लेकिन वे यशोदा का पात्र लेने की हिम्मत नहीं करती हैं । यह संभव नहीं है । हालांकि कुंतीदेवी श्री कृष्ण की चाची थी, लेकिन उनका ऐसा कोई विशेषाधिकार नहीं था... यह विशेषाधिकार विशेष रूप से यशोदामायी को दिया गया है । क्योंकि वे इतनी उन्नत भक्त हैं, कि उन्हे भगवान को ड़ाटने का अधिकार मिला है । यह विशेष विशेषाधिकार है । | |||
तो कुंतीदेवी केवल बस यशौदामायी के विशेषाधिकार के बारे में सोच रही थी, कि वे कितनी भाग्यशाली हैं और उन्हे कितना विशेषाधिकार प्राप्त है, कि वे भगवान को धमकी दे सकती हैं, जिनसे साक्षात डर भी डरता है । भीर अपि यद बिभेति ([[Vanisource:SB 1.8.31|श्रीमद भागवतम १.८.३१]]) । कौन श्री कृष्ण से डरता नहीं है ? हर कोई । लेकिन श्री कृष्ण यशोदामायी से डरते हैं । यह कृष्ण की उत्कृष्टता है | जैसे श्री कृष्ण का एक और नाम है मदन-मोहन । मदन मतलब कामदेव । कामदेव हर किसी को मोहित करते है । कामदेव । और कृष्ण कामदेव को मोहित करते हैं । इसलिए उनका नाम है मदन-मोहन । वे इतने सुंदर हैं की कामदेव भी उनसे मोहित है । लेकिन फिर दूसरी तरफ, श्री कृष्ण, हालांकि वे इतने सुंदर हैं की कामदेव को मोहित करते हैं, फिर भी वे श्रीमती राधारानी से मोहित हैं । इसलिए श्रीमती राधारानी का नाम है मदन-मोहन-मोहिनी । श्री कृष्ण कामदेव को मोहनेवाले हैं, और राधारानी उस मोहनेवाले को मोहित करती हैं । | |||
तो यह बहुत उच्च स्तर की आध्यात्मिक समझ है कृष्ण भावनामृत में । यह कल्पना या मनगढ़ंत कहानी नहीं है | ये सब तथ्य हैं । वे तथ्य हैं । और हर भक्त को इस तरह के विशेषाधिकार हैं अगर वह वास्तव में उन्नत है । अगर तुम... यह मत सोचो की यह विशेषाधिकार माँ यशोदा को दिया गया था... बिल्कुल वैसा न हो तो भी, हर किसी को यह विशेषाधिकार मिल सकता है । अगर तुम श्री कृष्ण से अपने बच्चे जैसा प्रेम करते हो, तो तुम्हे इस तरह का विशेषाधिकार मिलेगा । क्योंकि मां के पास है... क्योंकि मां प्यार करती है सबसे ज्यादा । कोई नहीं... | |||
इस भौतिक दुनिया में, माँ के प्यार की कोई तुलना नहीं है । किसी भी अपेक्षा के बिना । यहां इस भौतिक संसार में भी । माँ अपेक्षा के बिना बच्चे को प्यार करती है, आम तौर पर । हालांकि यह भौतिक दुनिया इतनी प्रदूषित है, फिर भी कभी कभी मां सोचती है: "बच्चा बड़ा हो जाएगा । वह बड़ा आदमी हो जाएगा । वह पैसा कमाएगा और वह मुझे मिलेगा।" अभी भी आदान-प्रदान की कुछ भावनाऍ है । लेकिन श्री कृष्ण को प्रेम करते हुए, ऐसी अपेक्षा की कोई भावना नहीं है । यही विशुद्ध प्रेम कहा जाता है । अन्याभिलाषिता शून्यम (भक्तिरसामृतसिंधु १.१.११), सभी भौतिक लाभ से मुक्त । | |||
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Latest revision as of 13:45, 27 October 2018
730423 - Lecture SB 01.08.31 - Los Angeles
अनुवाद: "मेरे प्रिय कृष्ण, यशोदा नें एक रस्सी ली अापको बाँधने केलिए जब आपने अपराध किया, और आपकी परेशान आँखें आँसूअों से भर गई, जिसने अापकी आँखों से काजल को धो दिया । अौर आप डरे हुए थे, हालांकि साक्षात डर अापसे ड़रता है । यह दृष्य मेरे लिए विस्मयकारी है ।"
प्रभुपाद: यह भी कृष्ण की एक और संपन्नता है । कृष्ण छह प्रकार के संपन्नताअों से भरे हैं । तो यह संपन्नता है सौंदर्य, सौंदर्य संपन्नता । श्री कृष्ण की छह संपन्नताऍ हैं : पूर्ण धन, पूर्ण शक्ति, पूर्ण प्रभाव, पूर्ण ज्ञान, पूर्ण सौंदर्य, पूर्ण त्याग । तो यह श्री कृष्ण के सौंदर्य की संपन्नता है । श्री कृष्ण चाहते हैं कि हर कोई... जैसे हम, जैसे हम दण्ड़वत करते हैं श्री कृष्ण को श्रद्धायुक्त भय और सम्मान के साथ | लेकिन कोई भी यहाँ एक रस्सी के साथ नहीं अाता है श्री कृष्ण के पास: "श्री कृष्ण, आप अपराधी हैं । मैं आपको बांधूँगा ।" कोई नहीं आता है । (हंसी)
यही सबसे उत्तम भक्त का एक और विशेषाधिकार है । हाँ। श्री कृष्ण चाहते हैं । क्योंकि वे संपन्नता से भरे हैं... यह भी एक और संपन्नता है । अणोर अणीयान महतो महीयान । सबसे बड़े से बड़ा और सबसे छोटे से छोटा । यही संपन्नता है । तो कुंतीदेवी श्री कृष्ण की संपन्नता के बारे में सोच रही हैं, लेकिन वे यशोदा का पात्र लेने की हिम्मत नहीं करती हैं । यह संभव नहीं है । हालांकि कुंतीदेवी श्री कृष्ण की चाची थी, लेकिन उनका ऐसा कोई विशेषाधिकार नहीं था... यह विशेषाधिकार विशेष रूप से यशोदामायी को दिया गया है । क्योंकि वे इतनी उन्नत भक्त हैं, कि उन्हे भगवान को ड़ाटने का अधिकार मिला है । यह विशेष विशेषाधिकार है ।
तो कुंतीदेवी केवल बस यशौदामायी के विशेषाधिकार के बारे में सोच रही थी, कि वे कितनी भाग्यशाली हैं और उन्हे कितना विशेषाधिकार प्राप्त है, कि वे भगवान को धमकी दे सकती हैं, जिनसे साक्षात डर भी डरता है । भीर अपि यद बिभेति (श्रीमद भागवतम १.८.३१) । कौन श्री कृष्ण से डरता नहीं है ? हर कोई । लेकिन श्री कृष्ण यशोदामायी से डरते हैं । यह कृष्ण की उत्कृष्टता है | जैसे श्री कृष्ण का एक और नाम है मदन-मोहन । मदन मतलब कामदेव । कामदेव हर किसी को मोहित करते है । कामदेव । और कृष्ण कामदेव को मोहित करते हैं । इसलिए उनका नाम है मदन-मोहन । वे इतने सुंदर हैं की कामदेव भी उनसे मोहित है । लेकिन फिर दूसरी तरफ, श्री कृष्ण, हालांकि वे इतने सुंदर हैं की कामदेव को मोहित करते हैं, फिर भी वे श्रीमती राधारानी से मोहित हैं । इसलिए श्रीमती राधारानी का नाम है मदन-मोहन-मोहिनी । श्री कृष्ण कामदेव को मोहनेवाले हैं, और राधारानी उस मोहनेवाले को मोहित करती हैं ।
तो यह बहुत उच्च स्तर की आध्यात्मिक समझ है कृष्ण भावनामृत में । यह कल्पना या मनगढ़ंत कहानी नहीं है | ये सब तथ्य हैं । वे तथ्य हैं । और हर भक्त को इस तरह के विशेषाधिकार हैं अगर वह वास्तव में उन्नत है । अगर तुम... यह मत सोचो की यह विशेषाधिकार माँ यशोदा को दिया गया था... बिल्कुल वैसा न हो तो भी, हर किसी को यह विशेषाधिकार मिल सकता है । अगर तुम श्री कृष्ण से अपने बच्चे जैसा प्रेम करते हो, तो तुम्हे इस तरह का विशेषाधिकार मिलेगा । क्योंकि मां के पास है... क्योंकि मां प्यार करती है सबसे ज्यादा । कोई नहीं...
इस भौतिक दुनिया में, माँ के प्यार की कोई तुलना नहीं है । किसी भी अपेक्षा के बिना । यहां इस भौतिक संसार में भी । माँ अपेक्षा के बिना बच्चे को प्यार करती है, आम तौर पर । हालांकि यह भौतिक दुनिया इतनी प्रदूषित है, फिर भी कभी कभी मां सोचती है: "बच्चा बड़ा हो जाएगा । वह बड़ा आदमी हो जाएगा । वह पैसा कमाएगा और वह मुझे मिलेगा।" अभी भी आदान-प्रदान की कुछ भावनाऍ है । लेकिन श्री कृष्ण को प्रेम करते हुए, ऐसी अपेक्षा की कोई भावना नहीं है । यही विशुद्ध प्रेम कहा जाता है । अन्याभिलाषिता शून्यम (भक्तिरसामृतसिंधु १.१.११), सभी भौतिक लाभ से मुक्त ।