Bhojpuri Language: Difference between revisions
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- BH/Prabhupada 1057 - भगवद गीता के गीतोपनिषद भी कहल जाला , इ वैदिक ज्ञान के सार ह
- BH/Prabhupada 1058 - भगवद गीता के प्रवचन भगवान श्री कृष्ण कईले बानीं
- BH/Prabhupada 1059 - जैसे ही केहू भगवान के भगत बने ला , ओकर
- BH/Prabhupada 1060 - जब तक ले भगवद गीता के आदर के साथ स्वीकार ना कईल जाव...
- BH/Prabhupada 1061 - भगवद गीता के भीतर पांच सचाई के बतावल बा
- BH/Prabhupada 1062 - प्रकृति पर मालिक बने के अधिकार जमावे के , हमनी के आदत बा
- BH/Prabhupada 1063 - कर्म के प्रतिक्रिया से , ओकरा फल से बचे के चाहीं
- BH/Prabhupada 1064 - श्री भगवान सभ प्राणी का ह्रदय में निवास करीले
- BH/Prabhupada 1065 - पहिला पाठ इहे समझे के बा कि , इ पञ्चभौतिक देह, आदमी ना ह
- BH/Prabhupada 1066 - जेकरा कम अकिल बा , उ परम सत्य के अव्यक्त मान लेला
- BH/Prabhupada 1067 - भगवद गीता के आपन अरथ ना लगावे के चाहीं , एह में कवनो काट छाँट ना करे के चाहीं
- BH/Prabhupada 1068 - प्रकृति तीन गुण के जईसन , आदमी के काम भी तीन तरह के होला
- BH/Prabhupada 1069 - धरम से विश्वास के पता चल जाला . धरम बदल सकता, लेकिन सनातन धरम नईखे बदल सकत
- BH/Prabhupada 1070 - सेवा करल, प्राणी के चिरंतन धरम ह
- BH/Prabhupada 1071 - भगवान के संगति , भगवान् के साथ मित्रता , भी आनन्द देबेला
- BH/Prabhupada 1072 - एह संसार के छोड़ के सनातन धाम में शाश्वत जीवन जीये के चाहीं
- BH/Prabhupada 1073 - जब तक ले हमनीं का प्रकृति पर कब्जा करे के आदत ना छोड़ देहब
- BH/Prabhupada 1074 - एह भौतिक संसार में हमनीं के जेतना दुःख के अनुभव होला - उ सब एह शरीर के कारन होखेला
- BH/Prabhupada 1075 - एह जीवन में जेतना काम हो रहल बा, उ अगिला जीवन के तैयारी हो रहल बा
- BH/Prabhupada 1076 - शरीर ख़तम भईला पर हमनीं के एही संसार में रह सकतानी , चाहे आध्यात्मिक संसार में जा सकतानी
- BH/Prabhupada 1077 - भगवान परम हवीं . उनका नाम आ उनका में कवनो अंतर नईखे
- BH/Prabhupada 1078 - चैबीस घंटा भगवान के सुमिरन में मन आ बुद्धि लागल रहे के चाहीं
- BH/Prabhupada 1079 - भगवद गीता दिव्य शास्त्र ह, ओह के सावधान होके पढ़े के चाहीं
- BH/Prabhupada 1080 - Summarized in the Bhagavad-gita - One God is Krishna. Krishna is not sectarian God