HI/690330 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद हवाई में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६९]]
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690330LE-HAWAII_ND_01.mp3</mp3player>|"तो ऐतिहासिक संदर्भों से भी, एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसकी तुलना कृष्ण से की जा सकती है। इसलिए वह सर्व-आकर्षक है। और हम जो कुछ भी अनुभव करते हैं, वह कृष्ण की ऊर्जा का प्रकटीकरण है। परस्य शक्तिर विविधैव श्रूयते (श्वेताश्वतर उपनिषद् ६.८, चै. च. मध्य १३.६५, टिपण्णी)। उनकी ऊर्जा अलग-अलग रूप में प्रकट होती है। इसी तरह, विष्णु पुराण में भी, यह कहा जाता है, परास्य ब्राह्मण शक्तिः तथैव अखिलं जगत (विष्णु पुराण १.२२.५६ )। अखिल जगत का अर्थ है संपूर्ण ब्रह्मांडीय अभिव्यक्ति भगवान् की सर्वोच्च व्यक्तित्व की बहु-ऊर्जा है।"|Vanisource:690330 - Lecture - Hawaii|690330 - प्रवचन - हवाई}}
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Revision as of 23:19, 8 May 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो ऐतिहासिक संदर्भों से भी, एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसकी तुलना कृष्ण से की जा सकती है। इसलिए वह सर्व-आकर्षक है। और हम जो कुछ भी अनुभव करते हैं, वह कृष्ण की ऊर्जा का प्रकटीकरण है। परस्य शक्तिर विविधैव श्रूयते (श्वेताश्वतर उपनिषद् ६.८, चै. च. मध्य १३.६५, टिपण्णी)। उनकी ऊर्जा अलग-अलग रूप में प्रकट होती है। इसी तरह, विष्णु पुराण में भी, यह कहा जाता है, परास्य ब्राह्मण शक्तिः तथैव अखिलं जगत (विष्णु पुराण १.२२.५६ )। अखिल जगत का अर्थ है संपूर्ण ब्रह्मांडीय अभिव्यक्ति भगवान् की सर्वोच्च व्यक्तित्व की बहु-ऊर्जा है।"
690330 - प्रवचन - हवाई