HI/760205 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next))
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७६]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७६]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - मायापुर]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - मायापुर]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/760205MW-MAYAPUR_ND_01.mp3</mp3player>|"जो भी निर्देशन है, आप उसे ले लीजिये। दवा दी जाती है। चिकित्सक निर्देशन देता है, 'आप इतने बूँद ले सकते हैं'। अब आप कहते हैं, 'ओह दवाई बहुत अच्छा है, मुझे पूरा ले लेना चाहिए, मैं जल्दी से स्वस्त हो सकता हूँ'। फिर आप मर जाते हैं। आपको लेना चाहिए, आनंद-लेकिन निर्देशानुसार। ईश्वर यह नहीं कहता कि 'आप भोग न करें'। आप हैं, क्या कहते हैं, आनंदमयो 'भ्यासात (वेदांत-सूत्र ०१.०१.१२)। एक जीवित इकाई का अर्थ है, आनंदमय, भोग। लेकिन वह भोग, जहां यह स्थायी भोग है आनंद, हमें उस स्थायी आनंद तक कैसे पहुँचे, यह सिखाया जा रहा है। अन्यथा, मूर्ख, आप पूरी दवा का सेवन करेंगे और मर जाएंगे। बस इतना ही।"|Vanisource:760205 - Morning Walk - Mayapur|760205 - सुबह की सैर - मायापुर}}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/760204 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|760204|HI/760206 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|760206}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/760205MW-MAYAPUR_ND_01.mp3</mp3player>|"जो भी निर्देशन है, आप उसे ले लीजिये। दवा दी जाती है। चिकित्सक निर्देशन देता है, 'आप इतने बूँद ले सकते हैं'। अब आप कहते हैं, 'ओह दवाई बहुत अच्छा है, मुझे पूरा ले लेना चाहिए, मैं जल्दी से स्वस्त हो सकता हूँ'। फिर आप मर जाते हैं। आपको लेना चाहिए, आनंद-लेकिन निर्देशानुसार। ईश्वर यह नहीं कहता कि 'आप भोग न करें'। आप हैं, क्या कहते हैं, आनंदमयो 'भ्यासात (वेदांत-सूत्र ०१.०१.१२)। एक जीवित इकाई का अर्थ है, आनंदमय, भोग। लेकिन वह भोग, जहां यह स्थायी भोग है आनंद, हमें उस स्थायी आनंद तक कैसे पहुँचे, यह सिखाया जा रहा है। अन्यथा, मूर्ख, आप पूरी दवा का सेवन करेंगे और मर जाएंगे। बस इतना ही।" |Vanisource:760205 - Morning Walk - Mayapur|760205 - सुबह की सैर - मायापुर}}

Revision as of 00:09, 13 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जो भी निर्देशन है, आप उसे ले लीजिये। दवा दी जाती है। चिकित्सक निर्देशन देता है, 'आप इतने बूँद ले सकते हैं'। अब आप कहते हैं, 'ओह दवाई बहुत अच्छा है, मुझे पूरा ले लेना चाहिए, मैं जल्दी से स्वस्त हो सकता हूँ'। फिर आप मर जाते हैं। आपको लेना चाहिए, आनंद-लेकिन निर्देशानुसार। ईश्वर यह नहीं कहता कि 'आप भोग न करें'। आप हैं, क्या कहते हैं, आनंदमयो 'भ्यासात (वेदांत-सूत्र ०१.०१.१२)। एक जीवित इकाई का अर्थ है, आनंदमय, भोग। लेकिन वह भोग, जहां यह स्थायी भोग है आनंद, हमें उस स्थायी आनंद तक कैसे पहुँचे, यह सिखाया जा रहा है। अन्यथा, मूर्ख, आप पूरी दवा का सेवन करेंगे और मर जाएंगे। बस इतना ही।"
760205 - सुबह की सैर - मायापुर