HI/760212 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९७६ Category:HI/अम...") |
(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next)) |
||
Line 2: | Line 2: | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७६]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - १९७६]] | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - मायापुर]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - मायापुर]] | ||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/760212SB-MAYAPUR_ND_01.mp3</mp3player>|"घर वापस जाना, देवभूमि वापस जाना इतना आसान है। यह बहुत मुश्किल कार्य नहीं है। अगर आप कुछ नहीं कर सकते हैं -अगर आप किताबें नहीं पढ़ सकते हैं, अगर आप तत्त्वज्ञान नहीं समझ सकते हैं, अगर आपका व्यवहार स्तर पर नहीं है-फिर भी , यदि आप देवता के सामने दण्डवत प्रणाम करते हैं, तो आप प्रगति करते हैं। आप प्रगति करते हैं, निस्संदेह।"|Vanisource:760212 - Lecture SB 07.09.05 - Mayapur|760212 - प्रवचन | <!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE --> | ||
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/760211 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|760211|HI/760214 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|760214}} | |||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | |||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/760212SB-MAYAPUR_ND_01.mp3</mp3player>|"घर वापस जाना, देवभूमि वापस जाना इतना आसान है। यह बहुत मुश्किल कार्य नहीं है। अगर आप कुछ नहीं कर सकते हैं-अगर आप किताबें नहीं पढ़ सकते हैं, अगर आप तत्त्वज्ञान नहीं समझ सकते हैं, अगर आपका व्यवहार स्तर पर नहीं है-फिर भी, यदि आप देवता के सामने केवल दण्डवत प्रणाम करते हैं, तो आप प्रगति करते हैं। आप प्रगति करते हैं, निस्संदेह।"|Vanisource:760212 - Lecture SB 07.09.05 - Mayapur|760212 - प्रवचन श्री.भा. ०७.०९.०५ - मायापुर}} |
Revision as of 00:09, 13 September 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"घर वापस जाना, देवभूमि वापस जाना इतना आसान है। यह बहुत मुश्किल कार्य नहीं है। अगर आप कुछ नहीं कर सकते हैं-अगर आप किताबें नहीं पढ़ सकते हैं, अगर आप तत्त्वज्ञान नहीं समझ सकते हैं, अगर आपका व्यवहार स्तर पर नहीं है-फिर भी, यदि आप देवता के सामने केवल दण्डवत प्रणाम करते हैं, तो आप प्रगति करते हैं। आप प्रगति करते हैं, निस्संदेह।" |
760212 - प्रवचन श्री.भा. ०७.०९.०५ - मायापुर |