HI/690908c बातचीत - श्रील प्रभुपाद हैम्बर्ग में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Revision as of 12:39, 17 August 2021
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"यह शरीर बदल रहा है। आप अपने बाल्यकाल का स्मरण करें: ओह, कितना अधिक कष्टप्रद जीवन हमने व्यतीत किया है ... कम से कम मैं याद रख सकता हूँ। हर कोई याद कर सकता है। इसलिए इस समस्या को रोक दीजिए। यद गतवा न निवर्तन्ते तद् धाम परमं मम (श्रीमद भगवद्गीता १५.६)। इसमें कठिनाई क्या है? आप अपना कार्य कीजिए तथा हरे कृष्ण का जप करते रहिए। हम यह नहीं कहते कि आप अपना व्यवसाय बंद कर दें । आप अपना व्यवसाय करते रहें। जैसे वह शिक्षक है। ठीक है, वह शिक्षक है। वह जौहरी है। जौहरी बने रहे। वह कुछ व्यवसाय करता है, वह कुछ अन्य व्यवसाय करता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। परंतु आप सदैव कृष्ण भावनामृत में रहिए। हरे कृष्ण का जप कीजिए। कृष्ण के विषय में स्मरण कीजिए। कृष्ण प्रसाद स्वीकार कीजिए। सब कुछ यहाँ उपलब्ध है। एवं प्रसन्न रहें। यह हमारा प्रचार है। स्वयं सीखे, एवं प्रचार करें। इससे सभी प्रसन्न होंगे। यह अत्यधिक सरल विधि है।" |
690908 - बातचीत - हैम्बर्ग |