HI/750122 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
(Vanibot #0025: NectarDropsConnector - add new navigation bars (prev/next))
 
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७५]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७५]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - बॉम्बे]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - बॉम्बे]]
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/750120 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|750120|HI/750123 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|750123}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://vanipedia.s3.amazonaws.com/Nectar+Drops/750122SB-BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|"हरे कृष्ण कंपन, ध्वनि का जप करने से, आप धीरे-धीरे शुद्ध हो जाते हैं। चेतो- दर्पण-मार्जनं। चेतो-दर्पण। दर्पण का अर्थ है आईना। जैसे दर्पण में धूल का आवरण होता है, आप अपना चेहरा स्पष्ट रूप से नहीं देख सकते हैं। लेकिन अगर इसे बहुत अच्छी तरह से साफ किया जाए तो आप देख सकते हैं कि आपका चेहरा कितना खूबसूरत है। तो इसी तरह, जैसे ही आप हरे कृष्ण महा-मंत्र का जप करना शुरू करते हैं, आपको धीरे-धीरे आत्म-साक्षात्कार हो जाता हैं, अहम् ब्रह्मास्मि, केवल जप करने से ।"|Vanisource:750122 - Lecture SB 03.26.47 - Bombay|750122 - प्रवचन SB 03.26.47 - बॉम्बे}}
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://vanipedia.s3.amazonaws.com/Nectar+Drops/750122SB-BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|"हरे कृष्ण कंपन, ध्वनि का जप करने से, आप धीरे-धीरे शुद्ध हो जाते हैं। चेतो- दर्पण-मार्जनं। चेतो-दर्पण। दर्पण का अर्थ है आईना। जैसे दर्पण में धूल का आवरण होता है, आप अपना चेहरा स्पष्ट रूप से नहीं देख सकते हैं। लेकिन अगर इसे बहुत अच्छी तरह से साफ किया जाए तो आप देख सकते हैं कि आपका चेहरा कितना खूबसूरत है। तो इसी तरह, जैसे ही आप हरे कृष्ण महा-मंत्र का जप करना शुरू करते हैं, आपको धीरे-धीरे आत्म-साक्षात्कार हो जाता हैं, अहम् ब्रह्मास्मि, केवल जप करने से ।"|Vanisource:750122 - Lecture SB 03.26.47 - Bombay|750122 - प्रवचन SB 03.26.47 - बॉम्बे}}

Latest revision as of 05:26, 9 October 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हरे कृष्ण कंपन, ध्वनि का जप करने से, आप धीरे-धीरे शुद्ध हो जाते हैं। चेतो- दर्पण-मार्जनं। चेतो-दर्पण। दर्पण का अर्थ है आईना। जैसे दर्पण में धूल का आवरण होता है, आप अपना चेहरा स्पष्ट रूप से नहीं देख सकते हैं। लेकिन अगर इसे बहुत अच्छी तरह से साफ किया जाए तो आप देख सकते हैं कि आपका चेहरा कितना खूबसूरत है। तो इसी तरह, जैसे ही आप हरे कृष्ण महा-मंत्र का जप करना शुरू करते हैं, आपको धीरे-धीरे आत्म-साक्षात्कार हो जाता हैं, अहम् ब्रह्मास्मि, केवल जप करने से ।"
750122 - प्रवचन SB 03.26.47 - बॉम्बे