HI/660720 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/660720BG-NEW_YORK_ND_01.mp3</mp3player>|श्रीमद भागवतम में यह स्वीकृत किया है की भगवान बुद्ध कृष्ण के ही अवतार हैं। अत: हम हिंदू भी भगवान बुद्ध को भगवान का अवतार मान कर पूजते हैं। एक महान वैष्णव कवि द्वारा रचित एक कविता है, जिसे सुनकर आपको अत्यन्त प्रसन्नता होगी। | |||
निन्दसी यज्ञ-विधेर अहह श्रुति जातम | |||
सदय-ह्रदय दरिष्ट- पशु घातम | |||
केशव घृत-बुद्ध-शरीर | |||
जय जगदीश हरे जय जगदीश हरे । | |||
इस पद्य का तात्पर्य है, 'हे भगवान कृष्ण, आपने बिचारे पशुओं पर दया करने के हेतु, भगवान बुद्ध का रूप धारण किया है'। क्योंकि भगवान बुद्ध पशु हत्या को रोकने के लिए प्रचार कर रहे थे। अहिंसा। पशु हत्या को रोकना ही उनका मुख्य लक्ष्य था।|Vanisource:660720 - Lecture BG 04.06-8 - New York|660720 - प्रवचन भ.गी. ४.६-८ - न्यूयार्क}} |
Latest revision as of 05:22, 2 March 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
श्रीमद भागवतम में यह स्वीकृत किया है की भगवान बुद्ध कृष्ण के ही अवतार हैं। अत: हम हिंदू भी भगवान बुद्ध को भगवान का अवतार मान कर पूजते हैं। एक महान वैष्णव कवि द्वारा रचित एक कविता है, जिसे सुनकर आपको अत्यन्त प्रसन्नता होगी।
निन्दसी यज्ञ-विधेर अहह श्रुति जातम सदय-ह्रदय दरिष्ट- पशु घातम केशव घृत-बुद्ध-शरीर जय जगदीश हरे जय जगदीश हरे । इस पद्य का तात्पर्य है, 'हे भगवान कृष्ण, आपने बिचारे पशुओं पर दया करने के हेतु, भगवान बुद्ध का रूप धारण किया है'। क्योंकि भगवान बुद्ध पशु हत्या को रोकने के लिए प्रचार कर रहे थे। अहिंसा। पशु हत्या को रोकना ही उनका मुख्य लक्ष्य था। |
660720 - प्रवचन भ.गी. ४.६-८ - न्यूयार्क |