HI/661115 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 05:37, 16 March 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"जो परम पुरुषोत्तम भगवान् श्री कृष्ण की सेवा में जुड़ते हैं, वे इस भौतिक संसार के किसी भी लोक में रूचि नहीं रखते। ऐसा क्यों? क्योंकि उन्हें ज्ञात है, कि स्वयं को ऊपर उठा कर, प्रगति करके, आप किसी भी लोक में जा सकते हैं, परंतु वँहा भी भौतिक जीवन के चार सिद्धान्त होंगे। वह क्या हैं? जन्म, मृत्यु, जरा और व्याधि। आप चाहे किसी भी लोक में प्रवेश करो। वहाँ इस धरती की तुलना में भले ही दीर्घ आयु हो, परन्तु मृत्यु तो निश्चित ही है। मृत्यु निश्चित है।" |
661115 - प्रवचन भ.गी. ८.१२-१३ - न्यूयार्क |