HI/670104c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 04:48, 13 April 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"इन्द्रियों को नियंत्रित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य जीभ है। मैंने कई बार समझाया है कि, जीभ सभी इंद्रियों की शुरुआत है। इसलिए यदि आप जीभ को नियंत्रित कर सकते हैं, तो आप अन्य इंद्रियों को भी नियंत्रित कर सकते हैं। और यदि आप जीभ को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, तो आप अन्य इंद्रियों को नियंत्रित नहीं कर सकते। इसलिए आपको इंद्रियों को नियंत्रित करना शुरू कर देना चाहिए। जीभ के दो कार्य हैं: स्वाद लेना और कंपन करना। हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे / हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे का कंपन करें और कृष्ण-प्रसाद का आस्वादन करें। फिर देखिये कि,आप किस प्रकार से उन्नति करतें हैं। यह दमः कहलाता है। इस तरह जिस प्रकार आप अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं, स्वाभाविक रूप से आप अपने मन को नियंत्रित करने में भी सक्षम होंगे। यह समः कहलाता है। तो यह प्रक्रियाएं हैं। इसलिए हमें इन प्रक्रियाओं का अभ्यास करना होगा और इन प्रक्रियाओं को विश्वासनीय स्रोतों से सीखना होगा और उन्हें अपने जीवन में अपनाना होगा। यही इस मनुष्य जीवन का वास्तविक उपयोग है। हमें इसे सीखना चाहिए, हमें इसका अभ्यास करना चाहिए, और अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए। बहुत बहुत धन्यवाद।" |
670104 - प्रवचन भ.गी. १०.४ - न्यूयार्क |