HI/Prabhupada 0525 - माया इतनी मजबूत है, जैसे ही तुम थोडा सा आश्वस्त होते हो, तुरंत हमला होता है

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Lecture on BG 7.1 -- Los Angeles, December 2, 1968

तमाल कृष्ण: प्रभुपाद, जब मैं आप की सेवा करता हूँ, कभी कभी मुझे बहुत अच्छा महसूस होता है, लेकिन जब मैं सोचता हूँ कि यह सेवा कितनी बुरी और अपूर्ण है, तो मुझे बुरा लगता है । महसूस करने के लिए सही कौन सा है?

प्रभुपाद: (हँसते हुए) तुम्हे बुरा लगता है?

तमाल कृष्ण: हाँ ।

प्रभुपाद: क्यों? तुम्हे बुरा कब लगता है?

तमाल कृष्ण: जब मैं सभी भूलों को देखते हूँ जो मैं करता हूँ, सभी गलतियों को ।

प्रभुपाद: कभी कभी ... यह अच्छा है ।भूलों को स्वीकार करना... कोई बड़ी भूल न भी हो । यह ईमानदारी से सेवा का लक्षण है । जैसे एक पिता अपने बेटे का बहुत प्रिय है, या बेटा पिता का बहुत प्रिय है । बेटे की एक छोटी बीमारि, पिता सोच रहा है, "ओह, मेरा बेटा मर सकता है । मैं बिछड जाऊँगा ।" यह गहरे प्यार की निशानी है । एसा नहीं है कि हमेशा बेटा तुरंत मरता है, आप देखते हो लेकिन वह उस तरह से सोच रहा है । बिछडना । तुम देखते हो ? तो यह एक अच्छा संकेत है । हम नहीं सोचना चाहिए कि हम बहुत अच्छी तरह से काम कर रहे हैं । हमें हमेशा सोचना चाहिए कि "मैं असमर्थ हूं ।" यह बुरा नहीं है । हम कभी नहीं सोचना चाहिए कि "मैं सही हूँ ।" क्योंकि माया इतनी मजबूत है, जैसे ही तुम थोडा सा आश्वस्त होते हो, तुरंत हमला होता है । तुम देखते हो? बिमारी की हालत में ... जैसे जो बहुत एहतियाद रखता है, तो पतन की कम संभावना है । तो यह बुरा नहीं है । हमें हमेशा उस तरह से सोचना चाहिए कि "शायद मैं अच्छी तरह से नहीं कर रहा हूँ ।" लेकिन जहाँ तक यह हमारे बस में है, हमें अच्छी तरह से हमारे कारोबार को अंजाम देना चाहिए । लेकिन हमें कभी नहीं सोचना चाहिए कि यह बहुत ही सही है । यह अच्छा है ।