HI/Prabhupada 0772 - वैदिक सभ्यता की पूरी योजना है लोगों को मुक्ति देना

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Lecture on SB 1.5.13 -- New Vrindaban, June 13, 1969

प्रभुपाद: श्रीमद-भागवतम् का हर शब्द, हर एक शब्द, स्पष्टीकरण के संस्करणों से भरा है यह श्रीमद-भागवतम् है। विद्या-भागवतावधि। किसी की विद्वता को समझा जा सकता है जब उसे श्रीमद-भागवतम् समझ में आ जाएगा। विद्या। विद्या का मतलब है सीखना, यह भौतिक विज्ञान नहीं, यह विज्ञान। जब कोई श्रीमद-भागवतम् सही परिप्रेक्ष्य में समझ सकता है, तो उसे समझा जा सकता है कि, उसकी सभी शैक्षणिक उन्नति समाप्त हो गई है। अवधि। अवधि मतलब "यह शिक्षा की सीमा है।" विद्या-भगवतावधि। तो यहाँ नारद का कहना है कि अखिल-बंध-मुक्तये : "तुम लोगों के लिए साहित्य की रचना इस प्रकार करो जिससे वे जीवन के इस सशर्त स्थिति से मुक्त हो सकें ये नहीं आप अधिक से अधिक इस सशर्त में उन्हें उलझाएँ। यही व्यासदेव को नारद की शिक्षा का मुख्य विषय है: "तुम क्यों बकवास साहित्य की रचना करके सशर्त स्थिति को जारी रखना चाहते हो?" पूरी वैदिक सभ्यता का उद्देश्य जीवों को इस भौतिक बंधन से मुक्ति देने के लिए है। लोगों को शिक्षा का उद्देश्य क्या है पता नहीं है। शिक्षा का उद्देश्य, सभ्यता का उद्देश्य, सभ्यता की पूर्णता, कि कैसे लोग इस सशर्त जीवन से मुक्त हो जाने चाहिए। लोगों को मुक्ति देना, यही है वैदिक सभ्यता की पूरी योजना।

इसलिए यह कहा जाता है: अखिल-बंध-मुक्तये (भागवतम् १.५.१३)। समाधिना, अखिलस्य बंधस्य मुक्तये, अखिलस्य बंधस्य। हम सशर्त स्थिति में, सदा भौतिक प्रकृति के नियमों से बंधे हुए हैं। यह हमारी स्थिति है। और नारद व्यासदेव को निर्देश दे रहे है कि "साहित्य की रचना इस प्रकार करो कि वे मुक्त हो सकें। उन्हें इस सशर्त जीवन जारी रखने के लिए अधिक से अधिक अवसर नहीं दें। " अखिल-बंध। अखिल। अखिल मतलब पूरा, थोक है। और कौन इसमें योगदान दे सकता है? यह भी कहा गया है, कि अथो महा-भाग भवान अमोघ-द्रीक (भागवतम् १.५.१३) । किनकी दृष्टि स्पष्ट है। किनकी दृष्टि स्पष्ट है। (एक बच्चे के बारे में :) वह परेशान है।

महिला भक्त: क्या वह आपको परेशान कर रहा है?

प्रभुपाद: हाँ।

महिला भक्त: हाँ।

प्रभुपाद: स्पष्ट दृष्टि। जब तक किसी की स्पष्ट दृष्टि नहीं है, तब तक वह लोक-कल्याण के लिए कार्य कैसे कर सकता है ? आपको कल्याण क्या है पता नहीं है। उनकी दृष्टि धूमिल है। अगर किसी की दृष्टि धूमिल है तो ... अगर आपको अपनी यात्रा का गंतव्य क्या है पता नहीं है, आप कैसे प्रगति कर सकते हैं? इसलिए योग्यता ... जो लोग मानव समाज के लिए अच्छा करने के लिए तैयार हैं, उनकी स्पष्ट दृष्टि होनी चाहिए। फिर कहाँ है स्पष्ट दृष्टि ? हर कोई नेता बन रहा है। हर कोई लोगों का नेतृत्व करने के लिए कोशिश कर रहा है। लेकिन वह खुद अंधा होता है। उसको जीवन के अंत में क्या है पता नहीं है। न ते विदुः स्वार्थ-गतिम् ही विष्णुम् (भागवतम् ७.५.३१)। तो इसलिए... व्यासदेव यह कर सकते हैं क्योंकि उनकी स्पष्ट दृष्टि है। नारद प्रमाणित करते है। नारद उनके शिष्य को जानते है, क्या स्थिति है। एक आध्यात्मिक गुरु जानता है कि क्या हालत है। जिस तरह एक चिकित्सक जानता है। बस नाड़ी की धड़कन को महसूस करने से ... एक विशेषज्ञ चिकित्सक पता कर सकता है कि इस मरीज की हालत क्या है, और वह उसका इलाज करता है, और उसके अनुसार उसे दवा देता है। इसी तरह, आध्यात्मिक गुरु जो वास्तव में एक आध्यात्मिक गुरु है, उन्हें पता है, वह शिष्य की नाड़ी की धड़कन जानते है, और इसलिए वह उसे दवा की विशेष प्रकार देते है जिससे की वह ठीक किया जा सकता है।