HI/701215 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद इंदौर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
" यम यम वापी स्मरण भावम त्यजते अन्ते कलेवरम ( भ.गी ८.६ ]। इसका अर्थ है मृत्यु के समय यदि कोई कृष्ण को, नारायण को याद कर सकता है, तो उसका पूरा जीवन सफल होता है। क्योंकि मृत्यु के समय मन की मानसिकता, मन की स्थिति, उसे अगले जीवन तक ले जाएगी। जिस तरह स्वाद हवा द्वारा ले जाया जाता है, उसी तरह, मेरी मानसिकता मुझे एक अलग प्रकार के शरीर में ले जाएगी। अगर मैंने वैष्णव, शुद्ध भक्त की तरह अपनी मानसिकता बनाई है, तो मैं तुरंत वैकुंठ चला

जाऊंगा। यदि मैंने एक सामान्य कर्मी के रूप में अपने दिमाग का निर्माण किया, तो मुझे इस भौतिक दुनिया के भीतर रहना होगा इस प्रकार की मानसिकता का आनंद लेने के लिए जो मैंने बनाई है।"

701215 - प्रवचन श्री.भा. ०६-०१-२७ - इंदौर