"यम यम वापी स्मरण भावम त्यजते अन्ते कलेवरम (भ.गी ८.६)। इसका अर्थ है मृत्यु के समय यदि कोई कृष्ण, नारायण का स्मरण करता है, तो उसका पूरा जीवन सफल होता है। क्योंकि मृत्यु के समय मन की स्थिति, व्यक्ति को अगले जीवन तक ले जाएगी। जिस प्रकार सुगंध हवा द्वारा ले जाई जाती है, उसी प्रकार, हमारी मानसिकता हमें एक अलग प्रकार के शरीर में ले जाएगी। यदि हमने वैष्णव, शुद्ध भक्त के समान अपनी मानसिकता विकसित की है, तो हम तुरंत वैकुंठ चले जाएंगे। यदि हमने एक सामान्य कर्मी के रूप में अपनी मानसिकता का निर्माण किया है, तो हमे इस भौतिक जगत के भीतर रहना होगा उस प्रकार की मानसिकता का आनंद लेने के लिए जो हमने विकसित की है।"
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