HI/Prabhupada 0389 - हरि हरि बिफले तात्पर्य

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Purport to Hari Hari Biphale -- Hamburg, September 10, 1969

हरि हरि! बिफले जनम ग्वाइनु । यह नरोत्तम दास ठाकुर, एक बहुत निष्ठावान आचार्य, द्वारा गाया एक गीत है, जो चैतन्य महाप्रभु के संप्रदाय की परम्परा उत्तराधिकार में है । उन्होंने कई गाने गाए हैं, महत्वपूर्ण गाने, और उनके गीतों को वैदिक निष्कर्ष के रूप में स्वीकार किया जाता है । बहुत आधिकारिक गाने । तो वे कहते हैं, भगवान कृष्ण से प्रार्थना करते हुए, "मेरे प्यारे भगवान," हरि हरि, "मैंने बस अपने जीवन को खराब कर दिया है ।"

हरि हरि बिफले जनम ग्वाइनु | क्यों तुमने अपने जीवन को खराब कर दिया है? वे कहते हैं, मनुष्य-जनम पाइया, "मझे मनुष्य जीवन मिला है," राधा कृष्ण ना भजिया, "लेकिन मैंने राधा कृष्ण की पूजा करने के लिए ध्यान नहीं दिया । इसलिए मैंने मेरी जिंदगी को खराब कर दिया है ।" और यह कैसे होता है? यह वैसा ही है जैसे कोई जानबूझकर जहर लेता है । अगर कोई अनजाने में जहर लेता है, तो बहाना है, लेकिन अगर कोई जानबूझकर जहर लेता है, तो यह आत्महत्या है । तो वे कहते हैं कि, "मैंने आत्महत्या की है केवल राधा और कृष्ण की पूजा न करके इस मनुष्य जीवन में ।"

फिर वे कहते हैं, गोलोकेर प्रेम-धन, हरि-नाम-संकीर्तन । यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन, संकीर्तन आंदोलन, इसमें कुछ भी भौतिक नहीं है । यह सीधे आध्यात्मिक राज्य से आयात किया गया है जिसे गोलोक वृन्दावन कहा जाता है । तो गोलोकेर प्रेम-धन । और यह साधारण गीत नहीं है । यह भगवान के प्रेम का खजाना है । तो ... "लेकिन मुझे इस बात से कोई आकर्षण नहीं है ।" रति ना जन्मिलो केने ताय । "मुझे कोई आकर्षण नहीं है। इसके विपरीत," विषय-बिषानले, दिबा निशि हिया ज्वले, "अौर क्योंकि मैं यह स्वीकार नहीं करता, इसलिए भौतिक अस्तित्व के जहर की धधकती आग मुझे लगातार जला रही है ।"

दिबा निशि हिया ज्वले । "दिन और रात, मेरा दिल जल रहा है, भौतिक अस्तित्व के इस जहरीले प्रभाव के कारण ।" और तरिबारे न कोइनु उपाय । "लेकिन मैं इस बात के लिए किसी भी उपाय की तलाश नहीं करता ।" दूसरे शब्दों में, भौतिक अस्तित्व की इस धधकती आग का उपाय यह संकीर्तन आंदोलन है । यह आध्यात्मिक राज्य से आयात किया गया है । और किसने आयात किया है? या कौन लाया है? फिर वे कहते हैं, ब्रजेन्द्र-नंदन जेइ, सचि सुत होइलो सेइ । ब्रजेन्द्र-नंदन, ब्रज के राजा का बेटा । वे कृष्ण हैं । कृष्ण नंद महाराज के बेटे के रूप में जाने जाते हैं । वे ब्रजभूमि के राजा थे ।

तो ब्रजेन्द्र-नंदन जेइ, वही व्यक्तित्व जो पूर्व में जो नंद महाराज के पुत्र थे, अब मॉ शचि के बेटे के रूप में अवतरित हुए हैं । शचि सुत होइलो सेइ । और बलराम होइलो निताई । और भगवान बलराम नित्यानंद बन गए हैं । तो ये दो भाइ अवतरित हुए हैं, वे सभी प्रकार के गिरे हुए आत्माओं का उद्धार कर रहे हैं । पापी-तापी जत छिलो । क्योंकि कई गिरि हुइ आत्माऍ इस दुनिया में थी, वे बस इस जप प्रक्रिया से उनका उद्धार कर रहे हैं ।

हरि नाम उद्धारिलो, बस इस जप द्वारा । यह कैसे संभव है? फिर कहते हैं, तार साक्षी जगाइ माधाइ । जीवंत उदाहरण हैं ये दो भाइ, जगाइ अौर माधाइ । ये जगाइ अौर माधाइ, दो भाइ, उनका एक ब्राह्मण परिवार में जनम हुअा, लेकिन वे लम्पट नंबर एक हो गए । और ... बेशक, आजकल, इस युग में, उनकी योग्यता लम्पट नहीं मानी जाती है । उनका भ्रष्ट आचरण था क्योंकि वे शराबी और महिला शिकारी थे । इसलिए उन्हे लम्पट कहा जाता था । और मांस खाने वाले भी । तो ... लेकिन बाद में, वे बन गए भगवान चैतन्य और नित्यानंद के उद्धार से , महान भक्त । तो नरोत्तम दास ठाकुर का स्पष्टीकरण कहात है कि इस युग में, हालांकि लोग शराबी हैं, महिला शिकारी, मांस खाने वाले, और सब ..., जुआरी, सभी प्रकार के पापी अभिनेता, फिर भी, वे अगर वे इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन को अपनाऍ और हरे कृष्ण का जप करें, वे भव सागर से तर जाएँगे ।

यह भगवान चैतन्य का आशीर्वाद है । फिर नरोत्तम दास ठाकुर प्रार्थना करते हैं, हा हा प्रभु नंद-सुत, वृषभानु सुत जुत । "मेरे प्रिय भगवान कृष्ण, अाप राजा नंद के बेटे हैं, और आपकी संगिनी राधारानी राजा वृषभानु की बेटी हैं । तो अाप दोनें यहाँ एक साथ खड़े हैं । " नरोत्तम दास कहे, ना ठेलिहो रांगा पाए, "अब मैं अापको आत्मसमर्पण कर रहा हूँ, कृपया मुझे लात मत मारिए, या अापके चरण कमलों से धक्का मत दीजिए, क्योंकि मेरा और कोई आश्रय नहीं है । मैं तो बस अापके चरण कमलों की शरण ले रहा हूँ किसी भी अन्य साधन के बिना । तो मुझे स्वीकार करें और मेरा उद्धार करें ।" यह इस गीत का सार है ।